मुजफ्फरनगर।Muzaffarnagar में इस वर्ष भी कार्तिक माह का ऐतिहासिक शुक्रतीर्थ मेला बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ आयोजित किया जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी लाखों श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। इसी क्रम में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) संजय कुमार वर्मा के निर्देशन में एक विशेष ऑनलाइन गोष्ठी (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग) का आयोजन किया गया, जिसमें मेले में “भैंसा-बुग्गी” लेकर आने वाले श्रद्धालुओं से संवाद स्थापित किया गया।
श्रद्धालुओं के साथ सीधा संवाद: शान्ति, अनुशासन और सहयोग पर बल
गोष्ठी में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा ने सभी उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि कार्तिक मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि जनपद की सांस्कृतिक धरोहर है। इसे शान्तिपूर्ण व सुरक्षित ढंग से सम्पन्न कराना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने श्रद्धालुओं से पूर्ण अनुशासन, संयम और कानून-व्यवस्था का पालन करने की शपथ दिलाई।
एसएसपी ने कहा:
“किसी भी श्रद्धालु को अनुशासनहीनता की इजाजत नहीं दी जाएगी। यह मेला हमारे समाज की आस्था और परंपरा का प्रतीक है, इसे हर हाल में शान्तिपूर्ण बनाए रखना है।”
भैंसा-बुग्गी की परंपरा — मेले की विशेष पहचान
थाना भोपा क्षेत्रान्तर्गत शुक्रतीर्थ में आयोजित यह मेला उत्तर भारत के सबसे प्राचीन और पारंपरिक मेलों में से एक माना जाता है। यहाँ भैंसा-बुग्गी लेकर पहुंचने वाले श्रद्धालु ग्रामीण संस्कृति की झलक पेश करते हैं। सैकड़ों किलोमीटर दूर से भक्त अपने भैंसों और बुग्गियों के साथ आस्था यात्रा पर निकलते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक भावना से जुड़ी है, बल्कि यह गांवों की जीवंत संस्कृति और लोक परंपरा का प्रतीक भी है।
ऑनलाइन गोष्ठी में दिए गए प्रमुख निर्देश — पुलिस की सख्त चेतावनी और सावधानी
पुलिस अधीक्षक ग्रामीण आदित्य बंसल एवं क्षेत्राधिकारी गजेन्द्र पाल सिंह की मौजूदगी में श्रद्धालुओं को कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए गए।
इनमें से कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
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भैंसा-बुग्गी की रेस न करें। यह न केवल खतरनाक है, बल्कि दण्डनीय भी है।
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मादक पदार्थों का सेवन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा — चाहे व्यक्ति स्वयं करे या पशुओं को कराए।
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हुड़दंग, झगड़ा, असामाजिक गतिविधियों या अनुशासनहीन व्यवहार पर सख्त कार्रवाई होगी।
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सभी श्रद्धालु अपनी यात्रा को आस्था, संयम और जिम्मेदारी के साथ पूर्ण करें।
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किसी भी स्थिति में कानून-व्यवस्था में बाधा डालने पर सख्त दंडात्मक कार्रवाई होगी।
पुलिस-प्रशासन की डिजिटल पहल: आधुनिक तकनीक से निगरानी और संवाद
इस वर्ष पुलिस ने मेले की तैयारियों में डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल बढ़ाया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सीधे ग्रामीण इलाकों के श्रद्धालुओं से जुड़कर एसएसपी ने प्रशासन की मंशा स्पष्ट कर दी — “यह मेला शांति, सुरक्षा और सद्भाव का संदेश देगा।”
सूत्रों के अनुसार, पुलिस द्वारा मेले क्षेत्र में ड्रोन कैमरे, सीसीटीवी निगरानी, और मोबाइल पेट्रोलिंग टीमों को भी तैनात किया जाएगा ताकि किसी भी संभावित घटना पर तुरंत नियंत्रण पाया जा सके।
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया: ‘पुलिस ने जो भरोसा दिया है, वह सराहनीय है’
ऑनलाइन गोष्ठी में शामिल श्रद्धालुओं ने पुलिस के इस प्रयास का स्वागत किया।
शुक्रतीर्थ क्षेत्र के निवासी रामवीर चौधरी ने कहा —
“पहली बार हमने देखा कि पुलिस इस स्तर पर श्रद्धालुओं से संवाद कर रही है। यह सराहनीय कदम है, इससे मेले में अनुशासन और भी मजबूत होगा।”
वहीं, भैंसा-बुग्गी चलाने वाले ग्रामीण श्रद्धालु अशोक त्यागी ने कहा कि वे हर दिशा-निर्देश का पालन करेंगे और पूरी यात्रा में पुलिस को सहयोग देंगे।
कार्तिक मेला 2025: परंपरा, सुरक्षा और समरसता का संगम
मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने विशेष तैयारियां की हैं।
इस वर्ष:
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अस्थायी पुलिस चौकियां स्थापित की जाएंगी।
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महिला सुरक्षा टीम, साइबर सेल, और एंटी-रोमियो स्क्वाड की विशेष तैनाती होगी।
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यातायात व्यवस्था के लिए वन-वे रूट प्लान लागू किया जाएगा।
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ड्रोन और वॉच टावरों से रीयल-टाइम निगरानी की जाएगी।
शपथ समारोह – श्रद्धालुओं ने दिलाया अनुशासन का वचन
गोष्ठी के अंत में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा ने सभी श्रद्धालुओं को शपथ दिलाई कि वे यात्रा के दौरान किसी भी अवांछनीय या अनुचित गतिविधि में शामिल नहीं होंगे, न ही किसी प्रकार के मादक पदार्थ का सेवन करेंगे।
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह मेले को “सुरक्षित, सुव्यवस्थित और सौहार्दपूर्ण वातावरण” में सम्पन्न कराने में अपना योगदान दे।
इस अवसर पर जिले के सभी थानों पर भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिन्होंने एक स्वर में कहा —
“हम अनुशासन और शान्ति बनाए रखेंगे, और पुलिस प्रशासन को पूरा सहयोग देंगे।”
पुलिस की नई पहल से बनी मिसाल — अन्य जिलों के लिए उदाहरण
यह पहली बार है जब मेले से पहले इस तरह का ऑनलाइन संवाद एवं शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। इस पहल को प्रदेशभर में सराहना मिल रही है। प्रशासन का यह प्रयोग दिखाता है कि कैसे परंपरा और तकनीक के मेल से सुरक्षा व्यवस्था और सामुदायिक समरसता को बढ़ाया जा सकता है।
मुजफ्फरनगर पुलिस की इस पहल ने न केवल कार्तिक माह मेले की सुरक्षा को नया आयाम दिया है, बल्कि आस्था और अनुशासन का एक शानदार उदाहरण भी पेश किया है। श्रद्धालु और प्रशासन एक साथ मिलकर इस धार्मिक आयोजन को शान्तिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराने का संकल्प ले चुके हैं। यह मुजफ्फरनगर की एकता, संस्कृति और कानून व्यवस्था की सशक्त तस्वीर है।
