चरथावल (Muzaffarnagar): शुक्रवार की सुबह जैसे ही सूरज की किरणें चरथावल थाना क्षेत्र के खुसरोपुर गांव के जंगलों पर पड़ीं, वहां का सन्नाटा एक खौफनाक रहस्य की चीख में तब्दील हो गया। एक पेड़ से लटकता शव देखकर पूरे गांव में अफरातफरी मच गई। शव की पहचान अभिषेक (22 वर्ष) पुत्र स्व. तेजपाल सिंह निवासी अमीनगर थाना तितावी के रूप में हुई।

अभिषेक बीते गुरुवार सुबह 5 बजे शौच के लिए घर से निकला था, लेकिन वापस नहीं लौटा। जब शुक्रवार सुबह ग्रामीण जंगल की ओर गए, तो वहां पेड़ से लटका उसका शव मिला। ये नजारा देखकर हर किसी की रूह कांप गई।

मौत की खबर से परिवार में मचा कोहराम, मां और बहन बेसुध
शव की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को सूचित किया गया। जैसे ही मृतक की मां सुनीता और बहन साक्षी मौके पर पहुंचीं, उनका रो-रोकर बुरा हाल हो गया। अभिषेक अपने परिवार का इकलौता चिराग था, उसके जाने से पूरे परिवार की दुनिया उजड़ गई है।

पुलिस जांच शुरू, फील्ड यूनिट ने जुटाए साक्ष्य
मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पेड़ से नीचे उतारा और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। सीओ सदर देवव्रत वाजपेयी ने बताया कि उन्हें शुक्रवार सुबह 8:15 बजे खुसरोपुर के जंगल में शव मिलने की सूचना मिली थी। प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह मामला आत्महत्या का प्रतीत होता है, लेकिन जांच अभी जारी है और सभी पहलुओं को गंभीरता से देखा जा रहा है।

ग्रामीणों की जुबानी: ये आत्महत्या नहीं, हत्या है!
जहां पुलिस शुरुआती जांच में इसे आत्महत्या बता रही है, वहीं परिजन और गांववाले इस बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं। उनका साफ कहना है कि अभिषेक मानसिक रूप से बिल्कुल ठीक था, उसका किसी से कोई विवाद या दुश्मनी नहीं थी।

गांव में आक्रोश, न्याय की मांग
गांव में भारी रोष है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर ये हत्या है, तो हत्यारों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। ग्रामीणों ने पुलिस से निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की है।

अभिषेक: एक मासूम सपना, जो मौत के साए में बुझ गया
अभिषेक की जिंदगी आम थी, लेकिन उसके सपने बड़े थे। गांव में सब उसे एक सीधा-सादा लड़का मानते थे। उसकी किसी से कोई रंजिश नहीं थी। कई लोगों ने दावा किया कि अभिषेक की हत्या कर शव को पेड़ से लटकाया गया है ताकि इसे आत्महत्या का रूप दिया जा सके।

पुलिस की भूमिका पर सवाल, क्या छुपा रही है सच्चाई?
परिजनों का आरोप है कि पुलिस मामले को जल्दी निपटाने की कोशिश कर रही है। उनका मानना है कि अगर सही दिशा में जांच नहीं हुई, तो अपराधी आसानी से बच निकलेंगे।

क्या जंगल में कोई और भी था? जांच के घेरे में कई सवाल
सवाल ये भी उठता है कि अगर अभिषेक ने आत्महत्या की, तो रस्सी कहां से आई? क्या कोई उसके पीछे-पीछे जंगल तक गया? क्या मौके पर कोई संघर्ष के निशान थे?

फॉरेंसिक टीम की मौजूदगी से आशा की किरण
मौके पर पहुंची फील्ड यूनिट ने सभी जरूरी साक्ष्य जैसे कपड़े, मोबाइल लोकेशन, फिंगरप्रिंट, और जमीन पर मिले निशान इकट्ठा किए हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि इन सुरागों के आधार पर सच्चाई सामने लाई जा सकेगी।

सोशल मीडिया पर गूंजा न्याय का स्वर
घटना की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। लोग हैशटैग #JusticeForAbhishek और #DalitYouthMurder के साथ न्याय की मांग कर रहे हैं।

मानवाधिकार संगठनों की नज़र भी इस मामले पर
इस घटना पर अब मानवाधिकार संगठनों की नजरें भी टिक गई हैं। अगर यह सचमुच हत्या है, तो यह कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है, खासकर जब मामला दलित युवक का हो।

क्या राजनैतिक दल देंगे साथ?
इस घटना के बाद स्थानीय नेताओं की चुप्पी पर भी सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि यह मामला किसी अमीर वर्ग से जुड़ा होता, तो अब तक कई नेता मौके पर पहुंच चुके होते।

क्या यूपी पुलिस कर पाएगी न्याय?
अब सबकी निगाहें यूपी पुलिस पर हैं कि क्या वह इस मामले में सच्चाई सामने ला पाएगी या फिर यह मामला भी ‘अज्ञात कारणों से आत्महत्या’ की फाइल में दब जाएगा?


**अंतिम अपडेट:** खुसरोपुर के जंगल में दलित युवक अभिषेक की संदिग्ध मौत की गुत्थी अभी तक सुलझ नहीं सकी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है। वहीं परिजन लगातार इस बात पर अड़े हुए हैं कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि एक सोची-समझी हत्या है। गांव में अब भी डर और गुस्से का माहौल है। पुलिस से उम्मीद है कि वह सच्चाई उजागर कर न्याय दिलाएगी।

 



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