Muzaffarnagar। अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर मुजफ्फरनगर का राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) एक सशक्त और भावनात्मक अभियान का साक्षी बना। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित इस आयोजन में न केवल सरकारी विभागों, बल्कि छात्रों और सामाजिक संगठनों की बड़ी भागीदारी रही। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसने आयोजन को एक आध्यात्मिक और प्रेरणादायक शुरुआत दी।
🌟मुख्यमंत्री के मिशन को गति: 2027 तक बाल श्रम मुक्त उत्तर प्रदेश का संकल्प🌟
जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश को वर्ष 2027 तक बाल श्रम मुक्त बनाना राज्य सरकार का प्रमुख लक्ष्य है। उन्होंने उपस्थित नागरिकों, छात्रों और अधिकारियों से आह्वान किया कि वे इस अभियान को व्यक्तिगत मिशन के रूप में लें और बाल श्रम को समाप्त करने में सरकार का साथ दें। उन्होंने यह भी कहा कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति यदि ठान ले, तो कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा।
उन्होंने कार्यक्रम की थीम, “प्रगति स्पष्ट है, लेकिन अभी और काम करना है, आइए प्रयासों को गति दें” को दोहराते हुए बाल अधिकारों के लिए चल रहे संघर्ष में नई ऊर्जा फूंक दी।
📢संगठनों का योगदान: बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की पहल
“जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन” संस्था के गजेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी टीम जमीनी स्तर पर लगातार ऐसे बच्चों की पहचान कर रही है जो शिक्षा से वंचित हैं। वे न केवल बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाने का कार्य कर रहे हैं, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिला रहे हैं। उनका उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा सड़क या कारखाने में नहीं, बल्कि स्कूल की कक्षा में नजर आए।
📈बाल श्रम मुक्त भारत की दिशा में श्रम विभाग का मजबूत अभियान
सहायक श्रमायुक्त देवेश सिंह ने जानकारी दी कि उनके विभाग ने हाल के महीनों में बाल श्रम से जुड़े कई मामलों में बच्चों को मुक्त कराया है। अभियान के दौरान मुक्त कराए गए बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए विशेष पुनर्वास योजना चलाई जा रही है। उन्होंने विभाग की अन्य योजनाओं का भी उल्लेख किया, जिनमें बच्चों के लिए छात्रवृत्ति, मुफ्त कोचिंग और कौशल विकास की पहलें शामिल हैं।
🏫मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना और स्पॉन्सरशिप योजना: आशा की किरण
जिला प्रोबेशन अधिकारी संजय कुमार ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना अनाथ या परित्यक्त बच्चों के लिए एक बड़ा सहारा बन रही है। उन्होंने यह भी बताया कि स्पॉन्सरशिप योजना के तहत बच्चों की देखरेख के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे उनकी शिक्षा और जीवन यापन की गुणवत्ता सुधर रही है।
🎭छात्रों की प्रस्तुति: कला के माध्यम से दिया संदेश
अटल आवास विद्यालय के बच्चों ने अपनी कला और संवेदनशीलता से उपस्थित जनों का दिल जीत लिया। बच्चों ने नुक्कड़ नाटक, चित्रकला और कविता पाठ के माध्यम से बाल श्रम की भयावहता को चित्रित किया और बताया कि बचपन पढ़ने-लिखने और खेलने-कूदने का समय होता है, काम करने का नहीं।
उनकी प्रस्तुतियों पर तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूंज उठा। जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों ने उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया, जिससे बच्चों का उत्साह सातवें आसमान पर पहुंच गया।
🎖️16 लाभार्थी श्रमिकों को मिला सम्मान और प्रमाण पत्र
कार्यक्रम के अंतर्गत विभागीय योजनाओं के तहत 16 लाभार्थी श्रमिकों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए, जिनमें वे श्रमिक शामिल थे जो अब अपने बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल कर चुके हैं। यह पहल समाज को यह संदेश देती है कि परिवर्तन संभव है, यदि नीयत और प्रयास सच्चे हों।
🙏कार्यक्रम संचालन और समापन: एकजुटता का उदाहरण
कार्यक्रम का संचालन बाल कल्याण समिति के सदस्य डॉ. राजीव कुमार द्वारा किया गया, जिन्होंने पूरे आयोजन को कुशलतापूर्वक और अनुशासन के साथ संचालित किया। समापन अवसर पर श्रम प्रवर्तन अधिकारी बालेश्वर ने सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सामूहिक प्रयास आने वाले समय में बड़े बदलाव की बुनियाद बनेगा।
📢समाज की जागरूकता ही बनेगी परिवर्तन की कुंजी
बाल श्रम न केवल एक सामाजिक अभिशाप है, बल्कि बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बना देता है। ऐसी पहलें तभी सफल होंगी जब समाज के सभी वर्ग – सरकार, सामाजिक संगठन, अभिभावक और स्वयं बच्चे – इसमें सक्रिय भूमिका निभाएं। यह ज़रूरी है कि प्रत्येक नागरिक जागरूक हो, अपने आस-पास निगरानी रखे और बाल श्रम को कहीं भी होते देख तत्काल संबंधित विभागों को सूचित करे।
बाल श्रम को समाप्त करने की यह मुहिम अब थमने वाली नहीं। मुजफ्फरनगर से उठी यह आवाज़ अब पूरे उत्तर प्रदेश में गूंजेगी और 2027 तक हर बच्चा स्कूल में होगा, काम पर नहीं।