Muzaffarnagar के बुढ़ाना कस्बे में रविवार को तब माहौल पूरी तरह गरम हो गया जब डीएवी कॉलेज के छात्र उज्जवल राणा की मौत की खबर फैल गई। फीस विवाद से आहत उज्जवल राणा ने कुछ दिन पहले खुद पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आत्मदाह का प्रयास किया था, जिसके बाद उसका इलाज दिल्ली में चल रहा था। लेकिन उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
यह खबर फैलते ही पूरे जिले में शोक और आक्रोश की लहर दौड़ गई।
डीएवी कॉलेज गेट पर धरना – नेताओं का जमावड़ा, न्याय की पुकार से गूंजा बुढ़ाना
छात्र उज्जवल राणा की मौत के विरोध में डीएवी कॉलेज गेट पर भाकियू, राजनीतिक दलों, छात्र संगठनों, खाप चौधरियों और किसान नेताओं ने सामूहिक धरना शुरू कर दिया।
धरने में प्रमुख रूप से शामिल रहे —
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भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत
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विधायक पंकज मलिक
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पूर्व विधायक उमेश मलिक
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पूर्व मंत्री योगराज सिंह
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किसान नेता धर्मेंद्र मलिक
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जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन ठाकुर रामदास
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जाट महासभा के अध्यक्ष धर्मवीर बालियान
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गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र मलिक
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रालोद जिलाध्यक्ष संदीप मलिक
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सांसद हरेंद्र मलिक
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रालोद मंडल अध्यक्ष प्रभात तोमर
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भाकियू नेता नितिन मलिक
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पूर्व मंत्री धर्मवीर बालियान
और कई किसान, छात्र, हिंदूवादी और सामाजिक संगठन के प्रतिनिधि।
धरना स्थल पर जैसे ही उज्जवल राणा का शव पहुंचा, माहौल बेहद भावुक और उग्र हो गया। लोगों ने कॉलेज प्रशासन और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
“यह धरना लंबा चलेगा” — बोले राकेश टिकैत, कॉलेज का नाम बदलने और मूर्ति लगाने की मांग
धरने को संबोधित करते हुए चौ. राकेश टिकैत ने कहा,
“यह धरना अब सिर्फ एक छात्र की मौत का नहीं, बल्कि व्यवस्था की अन्यायपूर्ण सोच के खिलाफ लड़ाई है। यह धरना लंबा चलेगा, जब तक उज्जवल राणा को न्याय नहीं मिलता।”
उन्होंने घोषणा की कि कॉलेज के सामने उज्जवल राणा की मूर्ति लगाई जाएगी, और यदि जरूरत पड़ी तो कॉलेज का नाम बदलकर “उज्जवल स्मृति डीएवी कॉलेज” रखा जाएगा।
टिकैत ने कहा कि फ्रीजर बॉक्स मंगवाया जाए ताकि शव को धरने के दौरान सुरक्षित रखा जा सके, जिससे संघर्ष जारी रहे।
धरने में गूंजा एक ही नारा — “उज्जवल को न्याय दो!”
सैकड़ों की भीड़ “उज्जवल को न्याय दो”, “कॉलेज प्रशासन मुर्दाबाद”, “जवाब दो, जवाब दो!” जैसे नारों से गूंज उठी।
धरने में लोगों ने आर्थिक मुआवजे, मृतक के परिजनों को सरकारी नौकरी, और कॉलेज प्रशासन पर हत्या व उत्पीड़न की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की मांग रखी।
फीस विवाद बना मौत की वजह — उज्जवल ने कॉलेज प्रशासन से मांगी थी मदद
जानकारी के अनुसार, उज्जवल राणा आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से था। फीस जमा न कर पाने की स्थिति में उसने कॉलेज प्रशासन से राहत की मांग की थी।
आरोप है कि कॉलेज प्रबंधन ने उसकी कठिनाई की अनदेखी करते हुए उससे दुर्व्यवहार किया और फीस जमा कराने का दबाव बनाया।
आहत होकर उज्जवल ने कॉलेज परिसर में खुद पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आत्मदाह का प्रयास किया था। वह गंभीर रूप से झुलस गया था और बाद में दिल्ली में उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
आक्रोश से दहला बुढ़ाना — कॉलेज प्रशासन पर हत्या का आरोप, न्याय की मांग में एकजुट समाज
धरना स्थल पर माहौल बेहद तनावपूर्ण रहा। लोगों ने कहा कि “यह कोई सामान्य मामला नहीं है, यह प्रशासनिक और शैक्षिक उत्पीड़न का परिणाम है।”
कई वक्ताओं ने कहा कि यह प्रणालीगत असंवेदनशीलता का प्रतीक है, जहां एक गरीब छात्र को फीस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी।
पूर्व मंत्री योगराज सिंह और पूर्व विधायक उमेश मलिक ने कहा कि “सरकार को इस घटना का संज्ञान लेकर दोषियों को कठोर सजा देनी चाहिए।”
जिला प्रशासन पर भी निशाना – ‘देर से कार्रवाई क्यों?’
धरने में मौजूद कई नेताओं ने जिला प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाया।
किसान नेता धर्मेंद्र मलिक ने कहा —
“अगर कॉलेज प्रशासन पर पहले ही कार्रवाई हो जाती, तो आज एक मासूम छात्र की जान नहीं जाती।”
भीड़ में मौजूद छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला तो पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में छात्र आंदोलन छेड़ा जाएगा।
बुढ़ाना से उठी आवाज अब प्रदेश तक पहुंचेगी
धरना स्थल पर जाट, रालोद, भाकियू और विभिन्न छात्र संगठनों की एकता साफ नजर आई।
लोगों ने कहा कि “अब यह सिर्फ उज्जवल का मामला नहीं रहा, यह हर छात्र की आवाज बन चुका है।”
कई संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि आरोपियों की गिरफ्तारी और कॉलेज प्रशासन पर कार्रवाई नहीं हुई तो जिला बंद या राज्यव्यापी आंदोलन का ऐलान किया जाएगा।
परिवार का दर्द — “मेरे बेटे ने मदद मांगी थी, किसी ने नहीं सुना”
धरने में मौजूद उज्जवल राणा के परिजन बार-बार रोते हुए कहते रहे कि “हमारे बेटे ने कॉलेज से मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी।”
मां का कहना था कि “वह पढ़कर परिवार का सहारा बनना चाहता था, लेकिन कॉलेज की बेरुखी ने उसे मौत के रास्ते पर धकेल दिया।”
जनता का भरोसा – ‘भाकियू और किसान संगठनों की लड़ाई जारी रहेगी’
धरने में शामिल लोगों ने एक स्वर में कहा कि भाकियू के राकेश टिकैत जैसे नेताओं की मौजूदगी से अब यह आंदोलन राष्ट्रव्यापी रूप ले सकता है।
लोगों ने उज्जवल राणा की मौत को शैक्षिक अन्याय की मिसाल बताते हुए कहा कि “अब फीस और उत्पीड़न के नाम पर कोई दूसरा छात्र अपनी जान न गंवाए।”
बुढ़ाना में छात्र उज्जवल राणा की मौत ने समाज, राजनीति और शिक्षा जगत को झकझोर कर रख दिया है। जिस आवाज़ ने फीस माफ़ी की मांग की थी, वह अब न्याय के नारे में बदल चुकी है। राकेश टिकैत और किसान संगठनों के नेतृत्व में चल रहा यह धरना अब केवल एक छात्र की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के शिक्षा तंत्र पर सवाल है। न्याय की यह मांग अब थमेगी नहीं — जब तक हर दोषी सजा न पाए और हर उज्जवल को उसका हक़ न मिले।
