Muzaffarnagar। भारत सरकार के रेल मंत्रालय एवं माननीय जिलाधिकारी उमेश मिश्रा के निर्देश पर, जनपद मुज़फ्फरनगर में मानव तस्करी के खिलाफ एक बड़े स्तर पर अभियान चलाया गया। इस अभियान का आयोजन “जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन संस्था एवं ग्रामीण समाज विकास केंद्र” द्वारा किया गया, जिसमें रेलवे पुलिस, बस अड्डा प्रशासन, बाल कल्याण समिति और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जैसी अनेक संस्थाएं एक साथ मिलकर सक्रिय रहीं।
अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को मानव तस्करी और बाल तस्करी के प्रति सतर्क करना और संभावित घटनाओं को समय रहते रोकना था। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और भीड़भाड़ वाली जगहों पर विशेष रूप से निगरानी रखी गई और जागरूकता के ब्रोशर वितरित किए गए।
सुरक्षा में चौकसी: ट्रेन और यात्रियों की गहन जांच
मानव तस्करी विरोधी थाना प्रभारी सर्वेश कुमार की अगुवाई में विशेष टीमों ने रेलवे स्टेशन पर आने-जाने वाली ट्रेनों की बारीकी से जांच की। यात्रियों से बात की गई, संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी गई और अनजान वस्तुओं व व्यक्तियों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी गई।
‘बचाव ही सुरक्षा है’ – यात्रियों को दिए गए ये जरूरी दिशा-निर्देश
अभियान के दौरान यात्रियों को यह चेतावनी दी गई:
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अनजान व्यक्ति से ज़्यादा न घुलें-मिलें
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अनजाने खाद्य पदार्थों को न छुएं
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किसी अनजान व्यक्ति द्वारा दिया गया कोई पेय या खाना न खाएं
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अपने बच्चों पर लगातार निगरानी रखें
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बच्चों को किसी अजनबी से बातचीत करने से रोकें
बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष रीना पवार की अपील
बाल कल्याण समिति अध्यक्ष रीना पवार ने जानकारी दी कि यह मानव तस्करी विरोधी अभियान 1 जुलाई से 30 जुलाई तक लगातार चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सौभाग्य से अब तक जनपद मुज़फ्फरनगर में कोई मानव तस्करी का केस दर्ज नहीं हुआ है, लेकिन इससे पहले सतर्क रहना आवश्यक है।
जरूरी नंबर, जिससे बच सकती है एक जान
“जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन” संस्था के प्रोजेक्ट लीडर गजेंद्र जी ने सभी नागरिकों से अपील की है कि यदि कोई बच्चा पीड़ित दिखाई दे या किसी व्यक्ति की गतिविधि संदिग्ध लगे, तो बाल सुरक्षा हेल्पलाइन 1098 या टोल फ्री नंबर 1800 1027 222 पर तुरंत संपर्क करें।
उन्होंने कहा,
“आपकी एक कॉल किसी मासूम का भविष्य बचा सकती है। सिर्फ देखना नहीं, आवाज़ उठाना ज़रूरी है।”
कौन-कौन रहा साथ – टीम की पूरी सूची
अभियान को सफल बनाने में कई विभागों के अधिकारी और सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता सक्रिय रूप से शामिल रहे। इनमें शामिल हैं:
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थाना जीआरपी से: अमित कुमार
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मानव तस्करी थाना (AHT) से: इंस्पेक्टर जगत राम, अमरजीत जी
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स्टेशन प्रभारी: पवन कुमार जी
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संस्था ग्रामीण समाज विकास केंद्र से: अमित कुमार, राहुल कुमार जी
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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से: गौरव मालिक, धनीराम जी
सोशल डिस्टेंसिंग और जनजागरूकता – साथ-साथ
अभियान के दौरान कोविड-19 दिशा-निर्देशों का भी पूरी तरह पालन किया गया। यात्रियों को मास्क पहनने, सैनिटाइज़र उपयोग करने और भीड़ से दूरी बनाए रखने की सलाह दी गई। यह दोहरा सुरक्षा कवच इस अभियान को और भी प्रभावी बना रहा है।
क्या कहता है आंकड़ा? जुलाई से अब तक नहीं आया कोई केस, लेकिन नजरें चौकस
अभियान के शुरुआती चरण में ही अधिकारी सतर्क दिखे। रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे, संदिग्धों की निगरानी, बारीक पूछताछ और यात्रियों की लिस्टिंग जैसे कई कदम उठाए गए हैं।
अधिकारियों का कहना है कि अगर सतर्कता ऐसे ही बनी रही, तो मानव तस्करी जैसी अमानवीय घटनाओं को पूरी तरह रोका जा सकता है।
मानवता के लिए एक कदम – मुज़फ्फरनगर बना उदाहरण
जहां देश के कई हिस्सों में मानव तस्करी की खबरें सुनने को मिलती हैं, वहीं मुज़फ्फरनगर में सरकार और समाज के संयुक्त प्रयासों ने इसे रोकने की दिशा में सराहनीय पहल की है।
**अंतिम जानकारी:** 1 जुलाई से चल रहे इस अभियान ने अब तक कई यात्रियों को जागरूक किया है और सुरक्षा की भावना को मजबूत किया है। यदि आपने कहीं किसी संदिग्ध गतिविधि को देखा है या किसी बच्चे को पीड़ित महसूस किया है, तो 1098 या 1800 1027 222 नंबर पर तुरंत संपर्क करें। आपकी एक छोटी सी कोशिश किसी मासूम को मानव तस्करी के अंधेरे से निकालकर नई जिंदगी दे सकती है।