उरई/कुठौंद। गांव में ही रहकर रोजगार देने के उद्देश्य से चलाई जा रही मनरेगा योजना सिर्फ कागजों पर दौड़ रही है। हालत यह है कि जिले भर में 16 हजार मजदूरों को ही 100 दिन का काम मिला है। इससे लोग पलायन करने को मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि उन्हें दो चार दिन काम मिलता है। अगर काम मिल भी जाता है तो खाते में रुपये नहीं आते हैं। इससे उन्हें भटकना पड़ता है, लेकिन जिम्मेदार कागजों में इस योजना को सही बता रहे हैं।
एक अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक 1.75 लाख मजदूरों में से केवल 16 हजार मजदूरों को ही 100 दिन काम मिला है। हालत यह है कि उन्हें काम के लिए पलायन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। मनरेगा में काम न मिलने से सबसे ज्यादा महिला मजदूरों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, क्योंकि वह घर गांव से बाहर काम करने नहीं जा सकती हैं। मनरेगा में सबसे ज्यादा परेशानी मजदूरों को समय पर भुगतान न मिलने से भी हो रही है। अभी सैकड़ों कार्य योजनाएं अधर में हैं। मनरेगा के तहत 100 दिन तक का रोजगार का दावा मुट्ठी भर लोगों तक की सीमित रह गया है। अधिकारियों का कहना है कि जो लोग काम मांगते हैं, वह उन्हें काम उपलब्ध करा देते हैं।
मनरेगा में काम करना छोड़ दिया
फोटो – 22 हरिश्चंद्र।
हरिश्चंद्र निवासी सुरावली का कहना है कि पहली बार मनरेगा में काम कर लेते थे अब पैसा कम मिलता है और टाइम से नहीं मिलता है। मजदूरों को पैसे की आवश्यकता रहती है। अब उन्होंने मनरेगा में काम करना छोड़ दिया है। बाहर मजदूरी करके परिवार की गुजर बसर कर रहे हैं।
फोटो -23 ज्ञान देवी।
कुठौंद निवासी ज्ञान देवी ने बताया सात महीने से उन्होंने मनरेगा में कोई काम नहीं किया है। पैसे से ज्यादा अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। कहीं ब्लॉक तो कहीं बार-बार बैंक जाकर पैसे चेक करने पड़ते हैं। ज्यादा परेशान हो जाते हैं, पति की बीमारी से मौत हो चुकी है। मनरेगा से बड़े सहारे की उम्मीद थी, लेकिन योजना से लाभ नहीं मिल पा रहा है।
फोटो – 24
चौथ निवासी राजेश कुमार का कहना है काफी सोचते हैं कि घर पर रहकर मनरेगा में काम करें, लेकिन मजदूरी सिर्फ 237 रुपये ही मिलती है। दूसरी जगह काम करने पर 500 रुपये तक मिल जाते हैं। इससे अब बाहर काम करते हैं, क्योंकि न ही पैसा समय से मिल पाता है और न ही इतने पैसे में गृहस्थी चल पाती है।
वर्जन
जिले में पंजीकृत मजदूर अगर मजदूरी मांगते हैं तो उन्हें काम दिया जाता है। जिले में 16 हजार लोगों ने 100 दिन काम किया है।
रामेंद्र कुशवाह, डीसी मनरेगा