उरई। अनुसूचित जाति के युवक के घर में घुसकर मारपीट व जानलेवा हमले करने का दोष सिद्ध होने पर एससीएसटी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश शिवकुमार ने पांच दोषियों को 10-10 साल की सजा सुनाई। प्रत्येक दोषी पर 1.82 लाख रुपये अर्थदंड लगाया। अर्थदंड न देने पर अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।

शासकीय अधिवक्ता रणकेंद्र सिंह भदौरिया ने बताया कि कालपी कोतवाली क्षेत्र के लमसर गांव निवासी विनोद कुमार ने 21 जून 2015 को कालपी पुलिस को तहरीर देकर बताया था कि उसके बेटे पद्म सिंह की गांव के जितेंद्र से रुपये लेनदेन को लेकर कहासुनी हो गई थी। इससे जितेंद्र यादव, अपने भाई सत्येंद्र व धर्मेंद्र यादव को लेकर आ गए और उसके बेटे से जबरन 1300 रुपये, मोबाइल व एक सोने की अंगूठी मारपीट कर छीन लिए।

जब उसकी शिकायत करने घर गया तो उसी समय रोहित यादव, जितेंद्र, धर्मेद्र, सतेंद्र, सुरेंद्र यादव, कल्लू उर्फ वेदनारायण, लल्लू उर्फ नंदकिशोर अपने हाथ में तमंचा, कुल्हाड़ी लेकर उसके घर में घुसकर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने लगे। जितेंद्र ने कुल्हाड़ी से उसके पुत्र पदम सिंह के सिर पर वार कर दिया था। यह घटना पुरानी रंजिश को लेकर की गई थी। इस मामले में पुलिस ने सात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर की थी।

पुलिस ने 23 जून 2015 को गिरफ्तार कर सभी को जेल भेज दिया था। पुलिस ने एससीएसटी कोर्ट में 16 जून 2016 को चार्जशीट दाखिल की थी। जिसका ट्रायल एससीएसटी कोर्ट शिवकुमार की अदालत में चल रहा था। ट्रायल के दौरान जितेंद्र यादव की मौत हो गई थी। शुक्रवार को सुनवाई पूरी हुई। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस और गवाहों के बयानों के बाद अदालत ने लल्लू उर्फ नंदकिशोर को दोषमुक्त कर दिया। जबकि रोहित यादव, धर्मेद्र यादव, सतेंद्र यादव, सुरेंद्र व कल्लू उर्फ वेदनारायण को दोषी पाते हुए दस दस साल की सजा सुनाई।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *