झांसी। उप्र सहकारी भूमि विकास बैंक के 1100 कर्ज धारक डिफाल्टर हो चुके हैं। बैंक की 22 करोड़ रुपये की मोटी धनराशि उन्होंने दबा रखी है। बैंक को इस रकम का ब्याज भी नहीं मिल रहा है। इस वजह से बैंक की हालत पतली होती जा रही है। बैंक अफसरों का कहना है बैंक की ओर से डिफाल्टरों को लगातार नोटिस भेजा जा रहा है, लेकिन बकाएदार रकम चुकाने को राजी नहीं हो रहे हैं।
भूमि विकास बैंक हर साल कृषि कार्य एवं उपकरणों की खरीद पर ऋण देता है। ऋण की एवज में बैंक 11-13 फीसदी सालाना की दर से ऋण वसूलता है। इससे बैंक का कारोबार चलता है। बैंक अफसरों का कहना है पिछले पंद्रह साल के दौरान करीब 40 करोड़ का ऋण वितरित हुआ, लेकिन 22 करोड़ रुपये बैंक को अभी तक वापस नहीं मिले। इस मूलधन पर ब्याज भी नहीं मिल रहा है। किश्तें न मिलने पर बकायेदारों की तलाश में तहसील से टीमें भेजी गईं लेकिन उनका पता नहीं चला। बैंक ने भी उनके पते पर नोटिस भेजा। इसके बावजूद ऋणी खातेदार बैंक को पैसा लौटने को राजी नहीं हो रहे हैं। बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक विनोद बाबू का कहना है कि इन बकायेदारों की तलाश की जा रही है। इनको निरंतर बैंक की ओर से नोटिस भी भेजा जाता है।
बीडा के काश्तकारों में 553 बकाएदार
बीडा के अंतर्गत जिन 33 गांव की जमीन ली जा रही है, उनके 553 काश्तकारों ने भी भूमि विकास बैंक से ऋण लिया हुआ है लेकिन बैनामा से पहले एनओसी की मजबूरी के चलते इनको भूमि विकास बैंक का ऋण लौटना पड़ रहा है। इन 553 ऋणी किसानों में 163 किसान बैंक को करीब तीन करोड़ लौटा चुके जबकि करीब पांच करोड़ रुपये अभी काश्तकारों पर बकाया है। बैंक अफसरों का कहना है कि बैनामा तेज होने पर यह रकम वापस आ जाएगी।
कुदरती मार की वजह से परेशान किसान नहीं लौटा पाते रकम
बुंदेलखंड में फसली सीजन में हर साल ही किसानों को कुदरती मार झेलनी पड़ती है। पिछले कई साल से खरीफ फसल के दौरान बारिश न होने से उनकी फसल खराब होती रही। इस वर्ष अतिवृष्टि ने फसल को बुरी तरह नष्ट कर दिया। पिछले करीब 8 साल से हर सीजन में किसानों को मौसम की मार की वजह से नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस वजह से भी किसान बैंकों को ऋण वापस नहीं कर पाते।