आटा। चमारी गोशाला में लापरवाही और बदइंतजामी मंगलवार को डीएम राजेश कुमार के सामने आ गई। यहां भूसे की कमी मिली। 15 गोवंश बीमार और 100 से ज्यादा कमजोर हालत में हैं। डीएम ने नोडल अधिकारी, बीडीओ, पशु चिकित्सक, ग्राम पंचायत अधिकारी, केयर टेकर और संचालिका पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
का भंडाफोड़ तब हुआ जब मंगलवार को जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्गेश कुमार के साथ अचानक औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान गोवंशों की दयनीय स्थिति और व्यवस्थाओं की खामियों ने अधिकारियों का गुस्सा भड़का दिया। परिणामस्वरूप डीएम ने मौके पर ही आधा दर्जन से अधिक अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के आदेश दे दिए।
एसपी डॉ. दुर्गेश कुमार के साथ डीएम गोशाला का निरीक्षण करने पहुंचे। गोशाला में करीब 600 गोवंश संरक्षित पाए गए, लेकिन व्यवस्था बेहद खराब मिली। गोशाला में रखा गया भूसा भी खराब गुणवत्ता का निकला। जिलाधिकारी ने नोडल अधिकारी शिव लखन सिंह सहायक अभियंता पर गोशालाओं का निरीक्षण न करने का दोष मानते हुए उनका वेतन रोकने और प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज करने का आदेश दिया।
इसी तरह बीडीओ कदौरा प्रतिभा शाल्या, पशु चिकित्सक अखिलेश त्रिपाठी और ग्राम पंचायत अधिकारी शिवम कौशिक के विरुद्ध भी वेतन रोकने व प्रतिकूल प्रविष्टि की कार्रवाई की गई। गोशाला संचालिका और केयर टेकर के विरुद्ध अनुबंध का उल्लंघन मानते हुए कठोर कार्रवाई का आदेश दिया गया।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी पर भी शिथिल पर्यवेक्षण के कारण प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई। डीएम ने गोशाला में तत्काल पर्याप्त भूसा उपलब्ध कराने के लिए कहा है। भूसा घर में हमेशा पर्याप्त मात्रा में भूसा रहे और सुबह-शाम नियमित रूप से चोकर, भूसा और हरा चारा गोवंश को दिया जाए। पानी की साफ व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए और समय-समय पर उसका बदलाव अनिवार्य किया जाए।
नोडल अधिकारियों पर भी सख्ती
जिलाधिकारी ने कहा कि जिले की सभी गोशालाओं के लिए 82 नोडल अधिकारी तैनात हैं, लेकिन अधिकांश केवल खानापूरी कर रहे हैं। उन्होंने जिला विकास अधिकारी को निर्देशित किया कि सभी नोडल अधिकारियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
बार-बार उठते रहे सवाल
चमारी गोशाला को लेकर पहले भी कई बार सवाल उठते रहे हैं। संचालिका पर मनमानी और अभद्रता के आरोप लग चुके हैं। यहां तक कि कई बार जब भी कोई व्यक्ति गोशाला में गया तो उसका मोबाइल तक जब्त कर लिया गया, ताकि अंदर की कमियां बाहर न आ सकें। कई बार इसको लेकर हंगामा भी हो चुका है। डीएम पहले भी नाराजगी जता चुके थे। निरीक्षण के बाद अधिकारियों ने साफ कर दिया कि गोशाला में किसी भी स्तर पर लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और बीमार गोवंशों के उपचार से लेकर भोजन-पानी तक सभी इंतजाम समय से होने चाहिए।