बीआरडी मेडिकल कॉलेज ने जिस प्राइवेट वार्ड को चार साल पहले जर्जर घोषित कर दिया था, उसके ही सात कमरों में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को रखा गया था। सजा काटने के दौरान अमरमणि इलाज कराने के लिए वर्ष 2018 से ही प्राइवेट वार्ड में रह रहे थे। जब भी वह कभी पेशी से लौटकर आते तो उन्हें इलाज के लिए यहां ही भर्ती कराया जाता था।
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वर्ष 2007 में जब पूर्व मंत्री को उम्र कैद की सजा सुनाई गई तो उन्हें मंडलीय कारागार में भेजा गया। जेल में स्वास्थ्य खराब होने के बाद पूर्व मंत्री को पत्नी समेत बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भेजा गया था। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड की दूसरी मंजिल पर कमरा नंबर 12 से 19 तक पूर्व मंत्री, उनकी पत्नी व सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों को दिया गया था। सुरक्षा के लिहाज से इस इलाके में आम लोगों की आवाजाही नहीं होती थी। कई साल से ऐसी व्यवस्था चली आ रही थी।
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जिस भवन में पूर्व मंत्री व उनकी पत्नी को रखकर इलाज कराया जा रहा था, उसे खुद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने ही वर्ष 2019 में जर्जर घोषित कर दिया था। भवन के ध्वस्तीकरण का भी प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन इसकी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। न ही पूर्व मंत्री व उनकी पत्नी को किसी अन्य वार्ड में रखा गया। वर्ष 1996 में बने इस भवन की छत टपक रही है और दीवारों पर सीलन है।
मेडिकल कॉलेज सूत्रों का कहना है कि पूर्व मंत्री इस बार मानसिक रोग विभाग में भर्ती थे। उन्हें कई प्रकार की गंभीर बीमारियां हैं, जिसका अलग-अलग डॉक्टरों से इलाज कराया जा रहा है।
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महज 23 साल में ही यह भवन जर्जर हो गया। वर्ष 2019 में इसे जर्जर घोषित करते हुए आम मरीजों के लिए बंद कर दिया गया। इसके बाद इसे ध्वस्त करने का प्रस्ताव भेजा गया। मेडिकल कॉलेज के जेई सिविल बलवीर ने बताया कि अब तक चार बार ध्वस्तीकरण का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन आदेश ही नहीं आया।
