Muzaffarnagar जनपद के शेरनगर गांव में बीते 20 वर्षों से साफ-सफाई का इंतजार कर रहा एक नाला अब क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। गंदगी, बदबू और बीमारियों के बीच जिंदगी गुजार रहे ग्रामीणों का सब्र आखिरकार जवाब दे गया और उन्होंने सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन करते हुए एक ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन सौंपने वालों में किसान यूनियन के जिला मंत्री इस्तेखार अंसारी, स्थानीय नेता पप्पू त्यागी, राशिद राणा, परवेज, मुजाहिद, मुशर्रफ इकराम, और अफसरून सहित दर्जनों ग्रामीण शामिल रहे। इन लोगों ने प्रशासन के प्रति कड़ा रोष जताते हुए कहा कि अगर जल्द ही नाले की सफाई नहीं करवाई गई, तो वे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
👥 क्या है ग्रामीणों की शिकायत?
ग्रामीणों ने बताया कि शेरनगर गांव के बीचों-बीच से एक पुराना नाला गुजरता है, जिसकी पिछले बीस वर्षों से कोई सफाई नहीं हुई है। यह नाला अब एक गंदगी से भरी नाली में तब्दील हो चुका है, जहां मच्छरों का प्रकोप दिन-रात बना रहता है। इसके दोनों ओर की पटरियों पर स्थानीय दबंगों द्वारा कब्जा कर लिया गया है, जिससे नाले की सफाई और पानी के निकासी की व्यवस्था पूरी तरह से अवरुद्ध हो चुकी है।
“हमने सिंचाई विभाग से लेकर ग्राम प्रधान तक सभी जिम्मेदारों से बार-बार शिकायत की, लेकिन आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया,” – यह बात इस्तेखार अंसारी ने भावुक स्वर में कही।
⚠️ गंभीर होती जा रही है स्थिति
गांव की स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि बारिश के मौसम में नाले का पानी घरों में घुसने लगता है। घरों के सामने गंदा पानी भर जाता है, जिससे कीचड़, दुर्गंध और मलेरिया जैसी बीमारियां फैलने लगती हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि अब यह केवल साफ-सफाई की बात नहीं रही, बल्कि यह स्वास्थ्य और जीवन की सुरक्षा का प्रश्न बन गया है।
महिलाएं और बुजुर्ग विशेष रूप से इस समस्या से परेशान हैं। कई लोग गंदे पानी में फिसलकर घायल भी हो चुके हैं। बच्चों को स्कूल भेजना मुश्किल हो गया है क्योंकि रास्ता कीचड़ से लथपथ रहता है।
🏗️ सरकारी तंत्र पर सवाल
ग्रामीणों के अनुसार, उन्होंने इस मुद्दे को कई बार सिंचाई विभाग, ग्राम पंचायत, और ब्लॉक कार्यालय के सामने उठाया है, लेकिन हर बार आश्वासन देकर मामले को टाल दिया गया। यही नहीं, स्थानीय स्तर पर राजनीतिक दबाव के चलते दबंगों द्वारा कब्जा हटाने की कार्रवाई भी नहीं हो पाई है।
स्थानीय नेता पप्पू त्यागी ने कहा, “जब तक इन दबंगों का कब्जा हटाया नहीं जाएगा, तब तक नाला कभी साफ नहीं हो पाएगा। प्रशासन को चाहिए कि तत्काल कार्रवाई कर इन अवैध कब्जों को हटवाए और नाले की सफाई सुनिश्चित करे।”
📄 ज्ञापन में क्या-क्या मांगे रखीं गईं?
ग्रामीणों द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में मुख्य रूप से निम्नलिखित मांगें की गईं:
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नाले की तत्काल सफाई करवाई जाए।
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दोनों पटरियों से अवैध कब्जा हटाया जाए।
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सिंचाई विभाग और ग्राम प्रधान को उत्तरदायी बनाया जाए।
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नाले के आसपास के क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजी जाए, ताकि बीमारियों से ग्रामीणों को राहत मिल सके।
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यदि एक सप्ताह में कार्यवाही नहीं होती, तो सड़क जाम, ब्लॉक घेराव, और जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना देने की चेतावनी दी गई है।
📸 ग्राउंड रिपोर्ट: ग्रामीणों का आक्रोश साफ
जब संवाददाता ने गांव का दौरा किया, तो ग्रामीणों की नाराजगी साफ देखी जा सकती थी। घरों के बाहर गंदा पानी भरा हुआ था, जिसमें मच्छर भिनभिना रहे थे। महिलाएं बाल्टी से पानी निकालने में लगी थीं, तो कुछ बुजुर्ग अपने दरवाजे के बाहर बने कीचड़ से निकलने की कोशिश कर रहे थे।
एक स्थानीय महिला, शकीला बेगम ने बताया, “बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, डॉक्टरों की फीस दे-देकर थक गए हैं। आखिर कब तक ये चलेगा?”
🔍 क्या कहता है प्रशासन?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जिलाधिकारी कार्यालय ने ज्ञापन प्राप्त कर लिया है । प्रशासन की ओर से संबंधित विभागों को नोटिस भेजा जा रहा है, लेकिन अब तक किसी तरह की सफाई कार्यवाही शुरू नहीं हुई है।
📢 गांव में बढ़ सकता है आंदोलन
यदि प्रशासन शीघ्र कार्रवाई नहीं करता है, तो ग्रामीणों ने बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। किसान यूनियन इस मुद्दे को लेकर जनजागरण अभियान चलाने की योजना बना रही है और हो सकता है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा जिला स्तर पर एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन जाए।
📌 निष्क्रियता पर उठते सवाल, कब जागेगा सिस्टम?
शेरनगर की यह घटना सिर्फ एक गांव की समस्या नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश के हजारों गांवों की हकीकत को बयां करती है, जहां बुनियादी सुविधाओं की घोर उपेक्षा हो रही है। ग्रामीणों का हक और सम्मान तभी सुरक्षित रह पाएगा, जब सिस्टम सजग होगा और जनप्रतिनिधि जिम्मेदार बनेंगे।
📷 अगला कदम किसका? प्रशासन की कार्यवाही या जनता का विरोध — यह देखना अब बेहद अहम हो गया है।