Muzaffarnagar के कवाल कांड से शुरू हुए 2013 के दंगे भारतीय राजनीति और सामाजिक ताने-बाने पर गहरे निशान छोड़ गए। इस दंगे का एक अहम अध्याय नंगला मंदौड़ पंचायत है, जहां भड़काऊ भाषणों ने आग में घी डालने का काम किया। अब इस पंचायत से जुड़े भड़काऊ भाषण के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान, साध्वी प्राची, पूर्व सांसद कुंवर भारतेन्दु सिंह, शिवसेना जिलाध्यक्ष बिट्टू सिखेड़ा और कई अन्य नेताओं को कोर्ट में पेश होना पड़ा।
कवाल गांव में कैसे शुरू हुआ था विवाद?
27 अगस्त 2013 को मुजफ्फरनगर के जानसठ क्षेत्र के कवाल गांव में सांप्रदायिक तनाव की चिंगारी भड़की थी। शाहनवाज नाम के एक युवक की हत्या ने गांव में बवाल खड़ा कर दिया। आक्रोशित भीड़ ने सचिन और गौरव नाम के दो युवकों को पीट-पीटकर मार डाला। इन हत्याओं ने पूरे क्षेत्र को दंगे की चपेट में ले लिया, जिससे न सिर्फ संपत्ति और जानमाल का भारी नुकसान हुआ, बल्कि समाज में एक लंबा धार्मिक विभाजन भी हो गया।
नंगला मंदौड़ पंचायत: शोकसभा या विवाद का नया मोड़?
31 अगस्त 2013 को कवाल कांड के विरोध में नंगला मंदौड़ गांव में पंचायत बुलाई गई थी। इसे शोक सभा बताया गया, लेकिन इस सभा में दिए गए भड़काऊ भाषणों ने माहौल को और गरमा दिया। आरोप है कि इस पंचायत में कुछ नेताओं ने जनता को उकसाने वाले बयान दिए, जिससे दंगे भड़कने में तेजी आई।
नेताओं की कोर्ट में पेशी: मामला क्यों हुआ चर्चित?
इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान, साध्वी प्राची, पूर्व सांसद कुंवर भारतेन्दु सिंह, शिवसेना जिलाध्यक्ष बिट्टू सिखेड़ा और अन्य नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। ये सभी नेता हाल ही में एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश हुए।
अदालत में पेशी के दौरान विशेष पीठासीन अधिकारी देवेंद्र सिंह फौजदार की अदालत में इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन तकनीकी कारणों से कोई विशेष प्रगति नहीं हो सकी। अब मामले की अगली सुनवाई 3 जनवरी 2025 को तय की गई है।
पंचायत में दिए गए विवादित बयान
नंगला मंदौड़ की इस पंचायत में कुछ नेताओं पर भीड़ को भड़काने और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने वाले बयान देने का आरोप है। इन बयानों की वजह से पूरे जिले में तनाव बढ़ गया और दंगे काबू से बाहर हो गए।
आरोपित नेताओं की सूची:
- डॉ. संजीव बालियान: वर्तमान में भी प्रमुख राजनेता, जिन पर दंगे भड़काने के आरोप हैं।
- साध्वी प्राची: अपने विवादित बयानों के लिए मशहूर साध्वी प्राची पर भीड़ को भड़काने का आरोप है।
- कुंवर भारतेन्दु सिंह: पूर्व सांसद, जिनका नाम इस केस में प्रमुखता से शामिल है।
- बिट्टू सिखेड़ा: शिवसेना जिलाध्यक्ष, जिनके बयानों ने विवाद को हवा दी।
- यशपाल पंवार: बीजेपी के प्रमुख नेता, जिन पर सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने का आरोप है।
दंगों के भयानक परिणाम
2013 के दंगों ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों को जलाकर राख कर दिया।
- मौतें: इन दंगों में 60 से अधिक लोग मारे गए।
- घायलों की संख्या: सैकड़ों लोग घायल हुए।
- विस्थापन: 50,000 से अधिक लोग बेघर हुए, जिनमें से कई अब भी राहत शिविरों में रह रहे हैं।
- सांप्रदायिक विभाजन: कवाल और मुजफ्फरनगर के आसपास का क्षेत्र अब भी सांप्रदायिक तनाव से जूझ रहा है।
क्या कहती है पुलिस और कोर्ट?
थाना जानसठ और पुलिस प्रशासन ने 2013 के दौरान भारी दबाव का सामना किया। इस मामले की जांच में पुलिस ने भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। वहीं कोर्ट ने इस मामले को संवेदनशील मानते हुए बार-बार तारीखें बढ़ाईं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
सामाजिक विशेषज्ञों का मानना है कि 2013 के दंगे सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक ध्रुवीकरण का परिणाम थे। नंगला मंदौड़ पंचायत जैसे आयोजनों ने इस स्थिति को और भड़काया।
भविष्य की सुनवाई और संभावनाएं
इस मामले में नेताओं की भूमिका और उनके बयानों की सच्चाई अदालत में तय होगी। आने वाली सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं, क्योंकि यह फैसला न केवल आरोपित नेताओं के लिए, बल्कि भारतीय राजनीति के लिए भी अहम हो सकता है।