प्रतिस्पर्धा के दौर में अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहीं छोटी इकाइयों को तकनीकी रूप से अपग्रेड किया गया है। इन इकाइयों को 258.66 करोड़ रुपये तकनीकी अपग्रेडेशन के लिए दिए गए हैं। इस मदद से 2300 से ज्यादा छोटी इकाइयों ने खुद को अपग्रेड कर अपनी उत्पादन क्षमता 20 फीसदी तक बढ़ा ली है।

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इन इकाइयों में सबसे ज्यादा खाद्य, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मा, आभूषण, प्लास्टिक, टेक्सटाइल और स्टोन क्रशिंग से जुड़ी हैं। इस सेक्टर से जुड़े छोटे उद्यमियों ने तकनीकी रूप से इकाइयों को अपग्रेड कर बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए खुद को तैयार किया और उत्पादन क्षमता में वृद्धि की। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़े और कम से कम आठ हजार नए लोगों को काम मिला।

ऐसे लिया तकनीकी अपग्रेडेशन स्कीम का फायदा

वर्ष     इकाइयां मिला धन (लाख रुपये में)
17-18 73 145.79
18-19 102 200
19-20 63 200
20-21 45 200
21-22 93 434.51
22-23 268 1250
23-24 177 836
24-25 1165 5300
कुल  1986   8566.3 (85.66 करोड़ लगभग)

इसके अलावा वर्ष 2022 से 2025 के बीच 215 इकाइयों को करीब 92 करोड़ रुपये की मदद एमएसएमई पॉलिसी 2027 के तहत दी गई। वहीं, एमएसएमई पॉलिसी 2022 के तहत वर्ष 2023 से वर्ष 2025 के बीच 111 इकाइयों को करीब 81 करोड़ रुपये दिए गए।2017 की तुलना में 2022 की पॉलिसी बनी छोटी इकाइयों की मददगार

छोटी इकाइयां बुरी तरह प्रभावित थीं

यूपी इंडस्ट्रियल कंसलटेंट्स लिमिटेड (यूपीकॉन) के एमडी प्रवीण सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 में पॉलिसी जीएसटी इनपुट पर आधारित थी। उसी वर्ष जीएसटी लागू हुआ था। इससे छोटी इकाइयां बुरी तरह प्रभावित थीं इसलिए इस नीति का ज्यादा फायदा नहीं मिला। 

वर्ष 2022 पॉलिसी का संबंध जीएसटी से नहीं है। नई नीति में स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने का प्रावधान है। सूक्ष्म और छोटी इकाइयों की परिभाषा बदलने का लाभ भी एमएसएमई सेक्टर को मिला है। छोटी इकाइयों में निवेश आने लगा है। इससे गाजियाबाद, कानपुर के बाद वाराणसी एमएसएमई के बड़े हब के रूप में उभरा है।

मार्केटिंग के लिए अलग से प्रोत्साहन राशि दी जा रही

नई नीति में कॉमन इफ्यूलिएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) के लिए पैसा दिया जा रहा है। गुणवत्ता नियंत्रण के लिए अलग से प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।सर्टिफिकेशन के लिए पांच लाख रुपये तक सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाइयों को मिल रहे हैं। जीआई टैग के लिए 50 हजार और दो लाख मिल रहे हैं। सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन के लिए 75 फीसदी या पांच लाख रुपये तक दिए जा रहे हैं। मार्केटिंग के लिए भी अलग से प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।



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