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संवाद न्यूज एजेंसी

झांसी। प्राचीन लहर ठकुरपुरा की गढ़ी पुरातत्व के अधीन है और चंदेल कालीन इस गढ़ी की देखरेख का जिम्मा भी पुरातत्व विभाग का है। पर, बजट न होने के कारण गढ़ी के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा था। इसको देखते हुए स्थानीय स्तर से बजट की मांग की गई थी, जिसपर मोहर लग गई है और विभाग को 4.98 करोड़ का बजट भी मिल गया है।

क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी मनोज यादव ने बताया कि झांसी समेत पूरे बुंदेलखंड में कई ऐसे मंदिर और गढ़ी हैं जो सदियों पुराने हैं। इनमें से एक लहर ठकुरपुरा की गढ़ी है। गढ़ी की दीवारें कई स्थानों से दरक गई है। इतना ही नहीं अंदरूनी हिस्से भी कई जगह क्षतिग्रस्त हो गए थे। इस गढ़ी को संरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभाग बजट की मांग कर रहा था। जिसकी स्वीकृति मिल गई है। अब इन हिस्सों को सही कराने के साथ ही गढ़ी की दीवारों की मरम्मत कराई जाएगी। वहीं, पर्यटन के नजरिए से इसे विकसित किया जाएगा। इसके चारों ओर लाइटिंग के अलावा पर्यटकों के लिए जनसुविधाएं दुरुस्त करने का काम किया जाएगा।



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