77 thousand posts will be abolished due to electricity privatization engineer said- department is misleading

बिजली कर्मचारी।
– फोटो : अमर उजाला।

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दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के फैसले के खिलाफ कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है। लगातार चौथे दिन बिजली कर्मचारियों ने बांह पर काली पट्टी बांधकर विरोध किया। आरोप लगाया कि निजीकरण से दोनों निगमों में 77 हजार पद समाप्त हो जाएंगे।

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कर्मचारियों ने ज्योति भवन पर निजीकरण के खिलाफ सभा की। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे और उपाध्यक्ष प्रभात सिंह ने बताया कि दक्षिणांचल के इंजीनियरों और कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन 18 जनवरी को भी जारी रहेगा। पावर कॉरपोरेशन ने निजीकरण से पहले ही आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है। दक्षिणांचल में कर्मचारियों के 33,161 पद हैं, जबकि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 44,330 पद हैं।

संयोजकों ने कहा कि निजीकरण के बाद 77491 पद समाप्त हो जाएंगे। इनमें 50 हजार संविदा कर्मी, 23818 तकनीशियन, 2154 जूनियर इंजीनियर और 1518 अभियंताओं के पद हैं। संविदा कर्मचारियों की छंटनी से बिजली कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ रहा है। अनूप उपाध्याय ने कहा कि ओडिशा और दिल्ली के साथ आगरा में निजी कंपनी ने पावर कॉरपोरेशन के किसी कर्मचारी को कंपनी में जगह नहीं दी थी। ऐसे में पीपीपी मॉडल पर नौकरी सुरक्षित रखने का दावा बेमानी है।

 



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