
इलाहाबाद हाईकोर्ट
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 917 सहायक प्रोफेसर भर्ती मामले में 31 मई को विशेष सचिव उच्च शिक्षा डॉ. अखिलेश कुमार मिश्रा की ओर से दाखिल हलफनामे पर कड़ी टिप्पणी की है। कहा कि विशेष सचिव का हलफनामा आंखों में धूल झोंकने जैसा है। कोर्ट ने मामले में यूपी सरकार से पूछा है कि क्यों न वर्तमान आयोग को ही आवश्यकता के सिद्धांत को लागू करते हुए पूर्व में जारी विज्ञापन के संबंध में चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आदेश दिया जाए। कोर्ट इस मामले में अब 24 जुलाई को सुनवाई करेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने महेंद्र सिंह व तीन अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि 30 मई को इस वजह से सुनवाई को एक दिन के लिए आगे बढ़ा दिया गया था कि उसी दिन प्रस्तावित नए उत्तर प्रदेश शिक्षा आयोग के गठन के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक होगी और उस बैठक में सहायक प्रोफेसर भर्ती मामले में निर्णय लिया जाएगा।
मामले में 31 मई को सुनवाई तो विशेष सचिव उच्च शिक्षा डॉ. अखिलेख कुमार मिश्रा की ओर से हलफनामा दाखिल किया गया और बताया गया कि यह निर्णय लिया गया है कि मौजूदा भर्ती आयोग को प्रस्तावित चयन आयोग के दायरे में लाया जाना है। सहायक प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया को उसी को स्थानांतरित कर दिया जाएगा। लेकिन, हलफनामे में इस संबंध में कोई रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया। यह जानबूझकर और कोर्ट को गुमराह करने वाला प्रतीत होता है। लिहाजा, हलफनामा स्वीकार करने योग्य नहीं है।