A horrific accident in Jammu left many serious questions

खाई में पड़ी हुई बस
– फोटो : वीडियो ग्रैब

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बाइस लोगों की जिंदगी लील लेने वाला भीषण हादसा कई सवाल भी छोड़ गया है। इस सीजन में हर कोई तीर्थयात्रा और भ्रमण करना चाहता है। वाहनों का टोटा है। कोई भी प्राधिकारी, अधिकारी यह नहीं देख रहा कि लोग कैसे अपने गंतव्यों तक पहुंच रहे हैं। इसी बस को लें, 57 सीटर इस बस में कैसे भेड़-बकरियों की तरह ठूस-ठूस कर यात्री भरे गए थे। यात्रा भी मैदानी नहीं, गहरी वादियों और खाइयों वाले इलाके की चल रही थी। इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी किसकी है। इस बस को हाथरस, अलीगढ़ से लेकर जम्मू तक किसी ने नहीं रोका।

अलीगढ़ का प्रशासन बेशक यह कहकर अपना पीछा छुड़ा रहा है कि बस के कागजात दुरुस्त थे और उसे बाकायदा परमिट मिला हुआ था। लेकिन अब इनसे पूछा जाना चाहिए था कि क्या आपने इस बस में 90 लोगों को यात्रा की अनुमति दी थी। सच तो यह है कि टूर ऑपरेटर मोटी कमाई के लिए हर मानकों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। तीर्थयात्रा के नाम पर इन ऑपरेटरों की बाकायदा धींगामुश्ती चल रही है। प्रशासन और शासन भी धार्मिक मामला समझकर इनकी अनदेखी कर रहे हैं।

मैदानी ड्राइवरों को पहाड़ी इलाकों में वाहन चलाने में होती है दुश्वारी

लगातार वाहन चलाने और नींद के अलावा मैदानी इलाकों में वाहन चलाने के अभ्यस्त चालक पहाड़ी रास्तों से अनभिज्ञ होते हैं। उन्हें तीव्र मोड़ों और खाइयों भरे रास्ते पर वाहन चलाने का अनुभव नहीं होता। लिहाजा कई बार मैदानी चालक पहाड़ी इलाकों में बस चलाते समय दुर्घटना कारित कर देते हैं। इस मामले में भी चालक मैदान का था। लगातार वाहन चलाने की वजह से हादसे की वजह थकान और नींद तो बताई जा रही है, लेकिन पहाड़ी रास्तों के लिए उसका अनुभवहीन होना भी हादसे की बड़ी वजह हो सकती है।



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