A silent epidemic may arrive

एएमयू
– फोटो : संवाद

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अगले ढाई दशक में एक और मौन महामारी दस्तक दे सकती है और इसमें दुनिया में करोड़ करोड़ लोगों जान जा सकती है। एएमआर और 22 बैक्टीरिया इस महामारी की वजह बनेंगे। यह खुलासा एएमयू के एक शोध में हुआ है। इसमें 200 देशों के पिछले 31 साल (1990-2021) के डाटा का विश्लेषण किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इसे लेकर आगाह कर चुका है।

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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के इंटरडिस्प्लीनरी बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रो. असद उल्लाह खान को एंटी माइक्रोबल रेसिस्टेंस (एएमआर) यानी रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर शोध करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार से 140.35 लाख रुपये का प्रोजेक्ट मिला है। दुनियाभर के वैज्ञानिक जो इस पर एएमआर पर शोध कर रहे हैं, प्रो. असद उल्लाह खान के संपर्क में हैं। उन्होंने मौन महामारी में मृत्युदर में कमी लाने का तरीका खोजा है।उनका यह शोध एक लैंसेट में पेपर छपा है, जो विज्ञान का एक बहुत प्रतिष्ठित जर्नल है। अध्ययन में पाया गया है कि 22 बैक्टीरिया एएमआर को बढ़ाने में सहायक होंगे, इनके साथ 11 सिंड्रोम पर भी काम किया गया है।

प्रो. असद उल्लाह खान ने बताया कि साल 2050 तक मौन महामारी शिखर पर होगी, जिसमें चार करोड़ लोग मर सकते हैं। शोध में जो बात सामने आई है, उसमें मृत्युदर में कमी केवल स्वच्छ पानी, साफ-सफाई के जरिये लाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में एंटीमाइक्रोबल रेजिस्टेंस देश के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है, जिसे मौन महामारी कहते हैं।



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