हे भगवान…ये तुमने ये कैसा विधान रच दिया? ये लोग तो तुम्हारे ही दर्शन के लिए गए थे बेचारों का ऐसा क्या कसूर था कि इतनी बड़ी सजा दे दी। ये सवाल मरने वालों के परिजन की जुबान पर विलाप के साथ फूट रहे थे। खाटूश्याम और सालासर बालाजी के हंसी-खुशी दर्शन कर सभी लौट रहे थे।
किसी ने दोबारा आने की मन्नत मांगी थी तो किसी को गांव पहुंचकर प्रसाद बांटना था और दर्शन के सुखद अनुभव बताने थे लेकिन ये सभी खुशियां, हसरतें गाड़ी में ही दफन हो गईं। दर्शन के लिए जाने की कोई बड़ी वजह या मौका तो नहीं था गांव वालों का आपस में विचार बना और तैयारी हो गई।
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दौसा में बड़ा सड़क हादसा
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पहले सालासर बालाजी के किए दर्शन
10 अगस्त की शाम को ये लोग दो लोडर वाहनों में सवार होकर राजस्थान के लिए निकल लिए। पहले सालासर बालाजी के दर्शन किए। उसके बाद खाटूश्याम के दरबार पहुंचे। वहां से आते समय बुधवार तड़के यह हृदय विदारक हादसा हो गया।
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विलाप करते परिजन
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इसमें सवार जयप्रकाश की पत्नी और पुत्र की जान चली गई। जयप्रकाश के भाई जयवीर ने बताया कि वह ऑटो चलाता है। 10 अगस्त को सुबह के समय ही ऑटो लेकर निकल गया था। उस समय तक बालाजी जाने की कोई बात नहीं थी। लौटकर आया तो पता लगा कि भाभी और भतीजा वहां गए हैं।
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विलाप करते परिजन
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भाभी से आखिरी बार 12 अगस्त को हुई थी बात
उन्होंने बताया कि भाभी ने अपने मायके से बहन-भतीजों को बुला लिया। ये लोग टूंडला में आकर मिल गए थे। वहां से इनकी गाड़ी में बैठकर आगे चले। भाभी से आखिरी बार 12 अगस्त की शाम 4:30 बजे बात हुई थी।
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विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
उस समय उन्हें दर्शन नहीं हुए थे। बताया कि दर्शन करके बात करेंगी। प्रसाद के लिए भी बोल रही थीं। गांव के ही लाखन सिंह की पुत्रवधू और पौत्र की हादसे में जान गई है। लाखन सिंह के सबसे छोटे पुत्र जितेंद्र सिंह ने बताया कि ताऊ के लड़के सौरभ ने जाने के लिए कहा तो मम्मी का अचानक से विचार बन गया।