
जानकारी देते एसएसपी शैलेश कुमार पांडेय
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उत्तर प्रदेश के मथुरा में 12 साल के रूपेश का अपहरण करने वाले बदमाश देवेंद्र और खड़ग सिंह पेशेवर अपराधी नहीं है। मगर, उनके शातिर दिमाग ने वारदात का प्लान इतना सटीक बनाया कि पुलिस 24 घंटे तक चकरघिन्नी बनी रही। मगर, वह अपने ही प्लान में फंस गए। बालक के परिवार ने पुलिस के कहने पर दोनों को बुधवार दोपहर को कॉल आने पर कह दिया कि 10 लाख रुपये का इंतजाम हो गया है। फरह क्षेत्र में आकर ले जाएं और बच्चे को छोड़ जाएं। वे इस जाल में वह फंस गए।
पूछताछ में पता चला कि दोनों आरोपियों के खिलाफ पूर्व में कोई अपराध दर्ज नहीं है। पुलिस के मुताबिक पूछताछ में देवेंद्र ने बताया कि उसके भाई रामलखन पर अछनेरा थाने में नाबालिग से बलात्कार का मुकदमा दर्ज है। उसी मुकदमे के निपटारे को उसे करीब पांच लाख रुपये चाहिए। होटल से नौकरी जाने के बाद परेशान था।
खड़ग सिंह ने बताया कि अय्याशी में अधिक कर्ज हो गया है। इसलिए पैसों की जरूरत थी। सीओ रिफाइनरी श्वेता वर्मा ने बताया कि आरोपी एक सप्ताह से किसी भी बच्चे के अपहरण की फिराक में घूम रहे थे, ताकि फिरौती की रकम मिल जाए और अपनी जरूरतों को उससे पूरा कर सकें।
जांबाज टीम के सामने चूर हुआ आपराधिक मंसूबा
वर्षों बाद मथुरा जिले में हुई किसी बच्चे के अपहरण की सनसनीखेज वारदात ने डीजीपी मुख्यालय को भी हिलाकर रख दिया। रात भर लखनऊ मुख्यालय से एसएसपी मथुरा को फोन कर वारदात की पल-पल की अपडेट ली जा रही थी। एसएसपी ने वृंदावन इंस्पेक्टर रवि त्यागी, इंस्पेक्टर छोटेलाल, स्वाट प्रभारी अभय शर्मा, एसआई नितिन त्यागी को लगाया। दूसरी टीम में फरह इंस्पेक्टर कमलेश सिंह, जमुनापार इंस्पेक्टर संजीव दुबे, सर्विलांस, एसओजी की तैयार हुई।