{“_id”:”67ac33086d3575ee1c08e010″,”slug”:”acharya-satyendra-das-used-to-get-100-rupees-as-priest-of-ramlala-2025-02-12″,”type”:”feature-story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”आचार्य सत्येंद्र दास: पुजारी बने तो 100 रुपये मिलता था पारिश्रमिक, प्राण प्रतिष्ठा के बाद इतना हो गया था वेतन”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
आचार्य सत्येंद्र दास। – फोटो : amar ujala
विस्तार
आचार्य सत्येंद्र दास एक मार्च 1992 को रामलला के मुख्य पुजारी नियुक्त हुए थे। अशोक सिंहल की सहमति के बाद उनके मुख्य पुजारी बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ था। जब वे मुख्य पुजारी बनाए गए तो उनका पारश्रिमिक मात्र 100 रुपये प्रतिमाह था। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनका वेतन बढ़कर 38500 रुपये हो गया था। राममंदिर ट्रस्ट ने रामलला के प्रति उनकी निष्ठा को देखते हुए उन्हें आजीवन वेतन देने का ऐलान कर रखा था।
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आचार्य सत्येंद्र दास से पहले रामलला के पुजारी लालदास थे। उस समय रिसीवर की जिम्मेदारी रिटायर जज पर हुआ करती थी। जेपी सिंह बतौर रिसीवर नियुक्त थे। फरवरी 1992 में उनकी मौत हो गई तो राम जन्मभूमि की व्यवस्था का जिम्मा जिला प्रशासन को दिया गया तब पुजारी लालदास को हटाने की बात हुई। उस समय तत्कालीन भाजपा सांसद विनय कटियार, विहिप के नेताओं और कई संत जो विहिप नेताओं के संपर्क में थे सबने पुजारी सत्येंद्र दास के नाम का निर्णय किया।
तत्कालीन विहिप अध्यक्ष अशोक सिंघल की भी सहमति मिल गई। जिला प्रशासन को सबने अवगत कराया और इस तरह एक मार्च 1992 को उनकी नियुक्ति हो गई। उन्हें अधिकार दिया गया कि वह अपने 4 सहायक पुजारी भी रख सकते हैं तब उन्होंने 4 सहायक पुजारियों को रखा।
मुख्य पुजारी चूंकि सहायता प्राप्त स्कूल में पढ़ाते थे, ऐसे में मंदिर में बतौर पुजारी सिर्फ 100 रुपए पारिश्रमिक मिलता था। जब 30 जून 2007 को वे अध्यापक के पद से रिटायर हो गए तो 13 हजार रुपये तनख्वाह मिलने लगी। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनका वेतन बढ़कर 38500 रुपये हो गया।