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– फोटो : अमर उजाला
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अपने पिता की गोद में बैठे सात साल के हर्ष गर्ग का 17 वर्ष पहले अपहरण हुआ। 26 दिनों तक अपहरणकर्ताओं की यातनाएं झेलीं। 27वें दिन उनके चंगुल से आजाद हुआ। मन में कानून के रास्ते बदला लेने की रार ठान ली। परिजनों की मनाही के बावजूद लॉ की पढ़ाई की। पहला केस अपना ही लड़ा और खुद के अपहरण के आठ आरोपियों को विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावी क्षेत्र नीरज बक्सी की कोर्ट से दोषी करार कराते हुए आजीवन कारावास की सजा दिलाई। यह कहानी किसी फिल्मी की नहीं, बल्कि खेरागढ़ कस्बे के हर्ष गर्ग की है।