{“_id”:”677c22cb75d7ff8dac0d9cd1″,”slug”:”after-reaching-chc-we-used-to-say-wow-now-we-are-sighing-orai-news-c-224-1-ori1005-124260-2025-01-07″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Jalaun News: कभी बोलते थे वाह, अब निकल रही आह”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}

After reaching CHC, we used to say wow, now we are sighing

अमर उजाला में 16 दिसंबर 2017 के अंक में प्रकाशित खबर। 
– फोटो : पाडाएफ

रामपुरा। कुछ साल पहले सीएचसी जिले में पहले स्थान पर थी, अस्पताल की व्यवस्थाएं देखने गैर जनपदों से डॉक्टरों की टीम आती थी। आज अस्पताल में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। मरीजों को बमुश्किल इलाज मिल पा रहा है। शनिवार को हादसे में घायल युवक को लेकर पहुंचे परिजनों को सीएचसी में चिकित्सक नहीं मिले थे। फार्मासिस्ट ने इंजेक्शन लगाकर रेफर कर दिया था। रास्ते में युवक की मौत हो गई थी। परिजनों ने सीएचसी प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया था।

Trending Videos

कुछ साल पहले डॉ. समीर प्रधान के समय रामपुरा का अस्पताल का नाम केवल जिले में ही नहीं बल्कि गैर जिलों में भी जाना जाता था। समय बदला और आज वही अस्पताल अव्यवस्थाओं का केंद्र बन चुका है। यहां प्रभारी डॉ. प्रदीप कुमार है। हालत यह है कि प्रभारी चिकित्साधिकारी इमरजेंसी में कभी मरीज नहीं देखते है। कभी कभार ही ओपीडी में मरीज देखते हैं। उनकी पत्नी डॉक्टर शिप्रा राजपूत भी हफ्ते में मात्र एक दिन के हाजिरी लगाने ही आती है। शेष बचे होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अरुण जादौन, डॉ. निशांत लुहारिया व सचिन आर्य है। जो क्रमश: दो-दो दिन आकर ओपीडी करते हैं।

सीएचसी में एमबीबीएस डॉक्टर की जगह होम्योपैथिक डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। अस्पताल में दो एमबीबीएस डॉक्टर तैनात हैं। लेकिन ओपीडी कभी कभार चिकित्सा अधीक्षक डॉ प्रदीप राजपूत देखते हैं। इसके अलावा ओपीडी होम्योपैथिक डॉक्टर ही देखते हैं। इमरजेंसी सेवा में भी चिकित्सक गायब रहते हैं। फार्मासिस्ट व वार्ड बॉय ही काम करते हैं।

मरीजों को इंजेक्शन लगाना हो या ड्रेसिंग करनी हो सभी काम वार्ड बॉय ही करता हैं। होम्योपैथिक चिकित्सक एलोपैथिक दवाएं लिखकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। फार्मासिस्ट की ड्यूटी तो अस्पताल पर अंकित होती हैं लेकिन वह उरई में रहते हैं।

अस्पताल में इलाज को आए रामपुरा के सुनील कुमार निषाद, कदमपुरा के रामअवतार ने आरोप लगाया कि मेडिकल स्टोर संचालकों के साथ मिलीभगत कर महंगे इंजेक्शन और सीरप लिखे जाते है। अस्पताल में जांच मशीनें होने के बावजूद बाहर से जांचें कराई जाती हैं। रामपुरा के राहुल पाल बोले कि शाम को चार बजे के बाद अस्पताल से अधिकांश स्टाफ गायब हो जाता है। ऐसे में इमरजेंसी सेवाएं नहीं मिल पाती है।

राष्ट्रीय लोकदल के मंडलीय नेता मंगल सिंह बबलू ने डीएम को पत्र भेजकर अस्पताल की अव्यवस्थाओं को सुधारने की मांग की है। साथ ही मांग की है कि दवा व जांचों में कमीशन का खेल बंद करवाया जाए। सभी डॉक्टरों को नियमित आने के लिए आदेशित किया जाए। चिकित्सा अधीक्षक सीएचसी रामपुरा डॉ. प्रदीप कुमार कहते हैं कि अस्पताल की सभी व्यवस्थाएं अच्छी है और डॉक्टर समय से इलाज कर रहे हैं। आरोप बेबुनियाद है।

केस-1-

जगम्मनपुर निवासी नीरज कुमार ने बताया कि सीएचसी में दिखाने के बाद उनकी जांच बाहर से लिख दी गई। बाहर जांच कराने में पांच सौ रुपये खर्च हुए।

केस-2-

पचोखरा के मुरारी सेंगर ने बताया के डॉक्टर ने पूरी दवा बाहर की लिख दी और अस्पताल के बाहर बने मेडिकल स्टोर से दवा लेने को कहा।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *