
पैथोलॉजी के बाहर रिपोर्ट के लिए खड़े मरीज।
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किसी को ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण है तो कोई ब्लड कैंसर की बीमारी से परेशान है। प्राथमिक स्तर पर जांच के बाद डॉक्टर सर्जरी का सुझाव देते हैं। इसके लिए शरीर से मांस का टुकड़ा/ यूरिन सैंपल सहित अन्य सैंपल जांच के लिए आईएमएस-बीएचयू के पैथालॉजी विभाग के लैब में मरीज और उनके परिजन लेकर पहुंचते हैं।
यहां सैंपल जमा करने पर उनको रिपोर्ट समय से नहीं मिल पा रही है। मंगलवार को अमर उजाला की पड़ताल में चौकाने वाला मामला सामने आया है। यहां कर्मचारी 15 दिन में रिपोर्ट के लिए तो बुलाते हैं लेकिन मरीजों को महीने भर बाद रिपोर्ट मिल पाती है। रिपोर्ट में देरी की वजह से जहां मरीजों को समय से जानकारी नहीं मिल पा रही है, वहीं सर्जरी भी लटक रही है।
बीएचयू अस्पताल में वाराणसी, आसपास के जिलों के अलावा बिहार आदि जगहों से आने वाले मरीजों को ओपीडी में देखने के बाद डॉक्टर जांच करवाने की सलाह देते हैं। इसके लिए आईएमएस बीएचयू में अलग-अलग लैब हैं।
विशेषकर ब्लड कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, महिलाओं में होने वाले अन्य कैंसर आदि की सही जानकारी और आगे के इलाज के लिए डॉक्टर शरीर से मांस का टुकड़ा देते हैं। कुछ मरीजों को यूरिन सैंपल सहित अन्य सैंपल से भी बीमारी की जानकारी मिल जाती है।
स्थित यह है कि मरीज डॉक्टर से सैंपल लेकर समय से फीस जमा कर उसको आईएमएस में बने लैब में जमा कर दे रहे हैं लेकिन उनको रिपोर्ट के लिए चक्कर लगाना पड़ता है। पड़ताल में कुछ ऐसे मरीज भी आईएमएस लैब के सामने खड़े मिले, जिनका कहना था कि रिपोर्ट तो समय से मिली नहीं, दूसरे रिपोर्ट सही न आने की बात कहकर सैंपल भी दुबारा मांगा जाता है।