आगरा के सिकंदरा में युवक को घर से ले जाकर हत्या कर साक्ष्य मिटाने का मुकदमा देरी से दर्ज कराने के बाद पुलिस के हत्या में प्रयुक्त हथियार बरामद नहीं कर पाई। एडीजे 13 महेश चंद वर्मा ने आरोपी प्रदीप यादव, मोनू खांन, नरेंद्र,एवं राम भरत को साक्ष्य के आभाव में बरी करने के आदेश दिए।

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वादी मुकदमा सुनील यादव का आरोप था की 24 जनवरी 2015 की शाम चार बजे प्रदीप यादव, मोनू खान, नरेंद्र और राम भरत उसके भाई हरेंद्र यादव को घर से बुला कर ले गये थे। ,रात भर भाई के वापस नहीं आने पर उन्होंने तलाश की पर कुछ पता नहीं चला। आरोपी भी अपने घर पर नहीं मिले। दूसरे दिन जीआरपी मथुरा ने भाई हरेंद्र यादव के फोन से शव बिल्लोचपुरा रेलवे स्टेशन की रेल लाइन पर पड़ा होने की सूचना दी। 

शिनाख्त के बाद शक के आधार पर आरोपियों के विरुद्ध हत्या कर सबूत नष्ट करने के उद्देश्य से भाई की लाश को रेलवे लाइन पर डालने का आरोप लगा प्राथमिकी दर्ज कराई थी। वादी सहित दस गवाह अदालत में पेश किये गए। प्राथमिकी दर्ज कराने मे देरी ,घटना में प्रयुक्त हथियार बरामद नहीं होने और गवाहों के बयानों में विरोधाभास पर न्यायालय ने फैसला सुनाया।

 



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