आगरा के जिला अस्पताल में इलाज को आने वाले मरीजों और तीमारदारों को बंदरों के आतंक का सामना करना पड़ रहा है। उनके वाहनों की गद्दियों को बंदर फाड़ देते हैं। हाथों से दवाएं और सिरप छीनकर खराब कर देते हैं। बच्चों और महिलाओं के हाथों से खाने का सामान छीन लेते हैं।

कई बार अचानक हुए हमले में लोग गिरकर चोटिल हो जाते हैं। नगर निगम लगातार बंदरों को पकड़ने का दावा कर रहा है, पर हकीकत में काम सिर्फ कागजों पर ही सीमित है। लोगों ने प्रशासन से बंदरों का व्यापक इंतजाम करने की मांग की है।

बाह के रहने वाले विष्णु़ भदाैरिया शुक्रवार को जिला अस्पताल में अपने बेटे अंकित को दिखाने आए थे। पर्चा बनवाने के बाद ओपीडी जाते समय अचानक बंदर ने बच्चे को घुड़की दी और उसके हाथ में पकड़ा हुआ चिप्स का पैकेट छीन ले गए। इस दाैरान बच्चा सहम गया और आधे घंटे तक रोता रहा।

इसी तरह विजयनगर के शिव कुमार सीने में कफ जमने की परेशानी पर जिला अस्पताल इलाज के लिए आए थे। बंदर ने उनकी खड़ी स्कूटी की गद्दी को नाखूनों से खुरच कर फाड़ दिया। स्कूटी पर टंगा उनका हेलमेट गिराकर खराब कर दिया। अस्पताल के पास चाय बेचने वाले संतोष ने बताया कि यहां रोजाना बंदरों का आतंक बना रहता है।

नगर निगम सभी जगह बंदरों को पकड़ रहा है। उन्हें यहां से भी पकड़ कर वन क्षेत्र में छोड़ने चाहिए। गर्भावस्था के दाैरान जांच के लिए आई ज्योत्सना ने बताया कि जिला अस्पताल आने पर पहले से सावधान रहना पड़ता है। एक बार बंदर उन्हें नाखून मार चुका है। प्रशासन को इस समस्या का हल निकालना चाहिए।

 



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