जहां हवा में रंग और गुलाल बरस रहा था। नाचते-गाते, भक्ति में सराबोर लोग मां जगदंबा की विदाई के लिए आए थे। प्रतिमा लेकर जैसे ही लोग नदी के अंदर गए। एक-एक कर डूबने लगे। नदी से चीख-पुकार गूंजने लगी। एक पल में माता के जयकारे मातम में बदल गए। अपनों की तलाश में बदहवास लोगों के आंसू उनकी पीड़ा बयां कर रहे थे।

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खेरागढ़ स्थित डुंगरवाला रोड पर उटंगन नदी किनारे प्रतिमा विसर्जन के दौरान बृहस्पतिवार दोपहर करीब एक बजे 13 लोगों के डूबने से हाहाकार मच गया। लोग चीखते रहे कोई बचाओ… कोई बचाओ…। लेकिन, वहां बचाने वाला कोई नहीं था। महिलाएं विलाप करते हुए नदी किनारे ही खेत में बेसुध होकर गिर पड़ीं। 

 




Agra Accident during idol immersion Footprints remained in soil cries of Mother Goddess turned into mourning

13 लोगों के डूबने पर विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी


शाम पांच बजे तक गोताखोर नहीं पहुंचे थे। ग्रामीण ही बार-बार नदी में डूबे हुए लोगों को तलाशने के लिए गोता लगाते रहे। इस दौरान परिजन का रो-रोकर बुरा हाल था। राहत और बचाव दल नहीं पहुंचने से ग्रामीणों में रोष व्याप्त हो गया। सूचना पर शाम 5.30 बजे बजे डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी घटना स्थल पर पहुंचे। 10 स्थानीय गोताखोर बुलाए गए। लेकिन, वो भी नदी में डूबे लोगों का रात 8 बजे तक पता नहीं लगा सके।

 


Agra Accident during idol immersion Footprints remained in soil cries of Mother Goddess turned into mourning

13 लोगों के डूबने पर विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी


खेत की मिट्टी में रह गए पैरों के निशान

जिस जगह हादसा हुआ, वहां खेत था। हादसे के बाद खेत की मिट्टी में सिर्फ पैरों के निशान थे। कुछ टूटी चप्पले थीं। जो डूबने के दौरान भगदड़ की गवाही दे रही थीं। गीले अंतर्वस्त्र पहने ग्रामीण थे। जो बार-बार नदी में कूदते और फिर मायूस होकर किनारे पर आ जाते। सैकड़ों ग्रामीणों का जमघट लग गया। जैसे-जैसे शाम ढलती गई, डूबे हुए लोगों के जिंदा लौटने की उम्मीद भी टूटती गई।

 


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डूबते लोगों को बचाने वाला युवक भोला
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी


भोला ने तैरकर बचाई लोगों की जान

जैसे ही लोगों ने डूबने पर चीखना शुरू किया। कुसियापुर निवासी भोला वहीं था। वह नदी की ओर दौड़ा और जैसे ही पानी गहरा हुआ तैरते हुए अंदर चला गया। भोला ने कई लोगों को बाहर निकाला। इसमें अमित की जान बच गई। ओमपाल व गगन को वह नहीं बचा सका। दोनों के शव नदी से निकले।


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मौके पर पुलिस और अन्य लोग
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी


रात 8 बजे तक नहीं पहुंच सका आपदा बचाव दल

हादसा दोपहर करीब एक बजे हुआ। लेकिन, रात 8 बजे तक राहत एवं बचाव के लिए विशेषज्ञ दल नहीं पहुंचा। डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बताया कि इटावा से राज्य आपदा नियंत्रण बल और पीएसी गोताखोरों की टीम बुलाई है। गहरे पानी में तलाश के लिए विशेषज्ञ गोताखोरों की जरूरत होती है। पुलिस व ग्रामीणों की मदद से 15 स्थानीय तैराक और गोताखोर रात 8 बजे तक नदी में डूबे लोगों की तलाश करते रहे।

 




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