पत्नी और बच्चे फ्लैट के अंदर से बचाओ-बचाओ की आवाज लगा रहे थे। दरवाजे से आग की लपटें निकल रही थीं। सीढ़ियों में धुआं भर गया था। अन्य फ्लैट में रह रहे लोग भागकर भूतल पर आ गए। कहीं से बचने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। दमकलकर्मी अपनी जान की परवाह किए बिना छत से रस्सी लगाकर खिड़की तोड़कर फ्लैट में दाखिल हो गए। एक घंटे तक दहशत रही। हर पल माैत का डर लगा रहा था। आग ने सब कुछ खत्म कर दिया मगर भगवान का शुक्र है कि अपनों की जान बच गई…। हादसे का मंजर बयां करते हुए ये बातें राजीव अग्रवाल ने कहीं। उनके फ्लैट में रविवार शाम को भीषण आग लग गई थी।
अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 401 निवासी राजीव अग्रवाल ने बताया कि वह एलआईसी एजेंट हैं। घर में पत्नी रंजना, बेटा रजत, बहू शिवांगी और बेटी मुस्कान के साथ रहते हैं। अपार्टमेंट में चार फ्लोर हैं। हर फ्लोर पर 4 फ्लैट हैं। वह 20 साल से यहां रहे हैं। रविवार दोपहर ढाई बजे एक परिचित का फोन आने पर वो घर से कमला नगर गए थे।

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आगरा अग्रिकांड
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
शाम करीब चार बजे आग लग गई। लपटों में पूरा परिवार घिर गया। एक परिचित ने फोन कर हादसे की जानकारी दी। वह पहुंचे तब तक परिवार आग की लपटों के बीच घिरा था।दमकलकर्मी रस्सी के सहारे किसी तरह खिड़की तोड़कर घर में दाखिल हुए। पत्नी, बेटा और बेटी फंसे हुए थे। वह जान बचाने के लिए चिल्ला रहे थे। दमकलकर्मियों ने साहस दिखाया। सभी की जान बच गई मगर घर में सब कुछ जल गया। एक घंटे तक पूरा परिवार दहशत में रहा। उन्हें लग रहा था कि जान नहीं बच पाएगी मगर बाहर आने पर यही कहा कि भगवान बनकर आए दमकलकर्मियों बचा लिया। अब परिवार एक रिश्तेदार के घर में ठहरा हुआ है।

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फ्लैट जिसमें लगी थी आग
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
फ्रिज, एसी, वाशिंग मशीन भी राख
राजीव अग्रवाल के फ्लैट में तीन कमरे हैं। दो में बेटी, बेटा-बहू रहते हैं, जबकि तीसरा कमरा उनका है। इसके साथ ही एक ड्राइंग रूम है। इसके बगल में किचन भी है। इसके पास ही पूजा घर है। राजीव अग्रवाल सोमवार दोपहर को डेढ़ बजे फ्लैट में पहुंचे। अपने साथ आधा दर्जन मजदूर भी लाए थे। ताला खोलकर जैसे ही फ्लैट में गए, आग की भयावहता अलग ही नजर आ रही थी। जमीन पर एसी का आउटर जला हुआ पड़ा था। उसके बाहर की प्लास्टिक की जगह पाइप ही नजर आ रहे थे। फ्रिज और वाशिंग मशीन भी कबाड़ बन गए थे। वहीं सीलिंग फैन की सिर्फ कापर ही बची थी। फाल सीलिंग और झूमर पूरी तरह से जल गए थे। इसके अलावा सोफे, टेबल, कमरों में रखे पलंग, दरवाजे, चाैखट जल गए। फर्श के टाइल्स भी उखड़कर बाहर निकल आए। मंदिर भी आगे से काला पड़ गया था। लड्डू गोपाल की मूर्ति बची थी मगर कपड़े जले हुए थे। दीवारें काली पड़ी हुई थीं। वह देखकर यही कह रहे थे कि सब जल गया। लाखों का नुकसान हुआ है। मजदूरों ने एक-एक करके चाैथी मंजिल से सामान फेंकना शुरू किया तो मिनी मेटाडोर भर गई। राजीव अग्रवाल ने बताया कि घर में शार्ट सर्किट से आग लगने की आशंका है।

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फायरकर्मी
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
पूजा घर में दीपक की लाै से हुआ हादसा
फायर स्टेशन अधिकारी शास्त्रीपुरम महेंद्र प्रसाद वाजपेयी ने बताया कि ड्राइंग रूम में ही पूजा घर बना हुआ था। जांच में पता चला है कि पूजा घर में दीपक जलाया गया था। इसकी लाै से मंदिर में रखे कपड़ों आग लग गई। आसपास पर्दे लगे थे। इनमें भी आग लग गई। इसके बाद आसपास लकड़ी की अलमारी बनी थी। धीरे-धीरे आग भड़कती गई। घर के लोग पहले तो आग बुझाने में लग गए मगर कुछ नहीं हुआ। जब तक बाहर निकलते तब तक लपटें बढ़ गई थीं। इससे बाहर नहीं आ सके। गनीमत रही कि वह खिड़की की तरफ खड़े हुए थे। वहां से शोर मचा रहे थे। खिड़की पर खड़े होने से धुआं निकल जाता है। इससे जान बच जाती है। बाद में दमकलकर्मी गए तब आग बुझ सकी।

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फ्लैट में रस्सी के सहारे चढ़ते दमकलकर्मी
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
ऑटोमेटिक लॉक से बंद हो गया दरवाजा
राजीव अग्रवाल ने बताया कि घटना के समय बेटा रजत और बहू शुभांगी फ्लैट से बाहर निकल आए थे लेकिन जब रजत को अंदर मां रंजना और बहन मुस्कान के फंसे होने का पता चला तो वह जान पर खेलकर दोनों को बचाने के लिए दोबारा फ्लैट में घुस गया। दरवाजा ऑटोमेटिक लाॅक हो गया और धुआं भरने के कारण वह भी अंदर फंस गया। रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सोमवार को अपार्टमेंट और आसपास रहने वाले इसी बात की चर्चा कर रहे थे।
