कासगंज। 13 वर्ष पहले जिले के लोगों ने बाढ़ की विभीषिका झेली थी। इसके बाद यह तीसरा मौका है जब लोगों को बाढ़ परेशान कर रही है। वर्ष 2010 और 2013 में जिले में बाढ़ से काफी तबाही हुई। बाढ़ के पानी से वर्ष 2010 में रेल ट्रैक धसक गया और एक ट्रेन का इंजन गंगा नदी में गिर गया था।

2010 में बाढ़ सितंबर माह में आई थी। 23 सिंतबर को 6.01 लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह हुआ था। जबकि वर्ष 2013 में बाढ़ का प्रकोप जून माह में ही हो गया था। 21 जून 2013 को 6.11 लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह हुआ था, लेकिन इस समय 3.11 लाख क्यूसेक पानी ही प्रवाहित हो रहा है। इस पानी में कुछ और वृद्धि की आशंका है। इस बार की बाढ़ वर्ष 2010 और 2013 की बाढ़ से ज्यादा नुकसानदायक साबित हो रही है क्योंकि इस बार बाढ़ का ठहराव इस समय अधिक समय के लिए हुआ है। पहले सप्ताहभर में बाढ़ का प्रकोप कम हो गया था, लेकिन इस बार यह बाढ़ का प्रकोप पिछले 35 दिनों से बना हुआ है।

इस बार की बाढ़ से किसानों को सर्वाधिक फसलों की क्षति हो रही है। क्योंकि बाढ़ का पानी लंबे समय से गंगा के तटवर्ती इलाके के गांव के खेतों में भरा हुआ है। जिले में सबसे पहले 13 जुलाई को मीडियम फ्लड शुरू हुआ और 1.45 लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह नरौरा बैराज से बन गया। इसके बाद कई दिनों तक यह जलस्तर लगातार बढ़ता रहा। 14 जुलाई को 1.70 लाख क्यूसेक पानी आया उसी समय पानी का प्रवाह बढकऱ 2 लाख क्यूसेक हो गया। यहीं से तटवर्ती इलाके के खेतों में पानी भर गया और दो लाख क्यूसेक से अधिक पानी का प्रवाह कई दिनों तक बना रहा। 22 जुलाई तक गंगा का बढ़ा हुआ जलस्तर बना रहा।

इसके बाद 23 जुलाई को नरौरा का प्रवाह कम हुआ तो कुछ राहत मिली, लेकिन 25 जुलाई से फिर पानी का प्रवाह बढ़ा और मीडियम फ्लड बनी रही। तब से अब तक लगातार गंगा के पानी में उतार चढ़ाव चल रहा है और पिछले कई दिनों से दो लाख क्यूसेक से अधिक पानी चल रहा है। जो अब बढकऱ हाईफ्लड लेविल पर जा पहुंचा है। करीब 35 दिनों से बाढ़ का प्रभाव जिले के तटवर्ती इलाके में है। अब हाईफ्लड की मार लोगों को झेलनी पड़ रही है। लगातार 35 दिनों से खेतों में पानी भरा होने के कारण फसलें गल गईं और सड़ गईं। इस स्थिति से किसानों की काफी बर्बादी हुई है। बाढ़ का पानी न निकलने के कारण फसलों की क्षति का आकलन भी नहीं हो सका है।

बाढ़ के पानी का आंकड़ा- नरौरा से प्रवाह

– वर्ष 2010- 601030 क्यूसेक

– वर्ष 2013- 611000 क्यूसेक

– मौजूदा वर्ष- 311996 क्यूसेक

– बाढ़ तो हर साल ही आती है। 10 साल पहले भी काफी बाढ़ आई थी। बहुत परेशानियां हुईं। उस समय खेती को नुकसान हुआ था, लेकिन उतना नहीं। इस बार अधिक समय तक बाढ़ का प्रकोप होने से फसलें बर्बाद हो गई हैं- सतपाल सिंह, बस्तौली, ब्रह्मपुर।

– इस बार बाढ़ का लंबे समय से ठहराव रहा है। पिछले महीने से ही बाढ़ बनी हुई है। कोई भी बाढ़ राहत के लिए कुछ नहीं करता। किसान बर्बाद हो रहे हैं। गांव में परेशानी ही परेशानी है- रामसेवक, रफातपुर

– बमनपुरा गांव में कई बार बाढ़ का प्रकोप हो चुका है। इस बार फिर बार का प्रकोप काफी समय से बना हुआ है। आबादी में लगातार पानी भरा हुआ है। ग्रामीणों को आने जाने में दिक्कतें हैं। खेतों में पानी भरा रहने से फसलें नष्ट हो गई हैं- कृपाल, बमनपुरा



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