संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा
Updated Mon, 14 Aug 2023 11:47 PM IST
मैनपुरी। आजादी आंदोलन के दौरान क्रांतिकारियों ने संता-बसंता चौराहे पर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन किए। संता-बसंता चौराहा शहर के रहने वाले दो क्रांतिकारी जैन बंधुओं की आज भी याद दिलाता है। शहर के मोहाल्ला छपट्टी के रहने वाले संतलाल जैन और उनके भाई बसंतलाल जैन लोहामंडी के पास चौराहे पर दुकान चलाते थे। पराधीन भारत में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ चले आंदोलन में दोनों भाइयों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था। ब्रिटिश शासकों का साथ देने वाले लोगों का जमकर विरोध किया। मिशन स्कूल और आर्य समाज मंदिर में क्रांतिकारियों के साथ बैठकें करके रणनीति बनाई। अंग्रेज शासकों के खिलाफ योजना बनाने के आरेाप में दोनों भाइयों ने जेल भी काटी। पराधीन भारत में चौराहे पर ही एक नहीं कई बार तिरंगा भी फहराया। संतलाल जैन को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा मिला। वहीं, उनके भाई बसंतलाल जैन का नाम प्रमुख क्रांतिकारियों में शामिल किया गया। आजाद भारत में चौराहे का नाम नगर पालिका परिषद ने बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित करके संता-बसंता चौराहा रखा।
पराधीन भारत में सदर बाजार में मुकुट बिहारी की दुकान पर विदेशी कपड़ों की बिक्री की जाती थी। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबूराम जैन ने साथी क्रांतिकारियों के साथ दुकान से विदेशी कपड़ा लूटकर चौराहे पर उसकी होली जलाई, जिसके लिए बाबूराम जैन को जेल जाना पड़ा। उनको अदालत ने सजा भी सुनाई।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबूराम जैन के पुत्र अरुण जैन बताते हैं कि स्वतंत्रता सेनानियों की याद जीवित रखने वाला केवल संता-बसंता चौराहा ही है। इसी चौराहे पर पराधीन भारत में क्रांतिकारियों ने आंदोलन को हवा देकर अपनी मर्जी से गिरफ्तारी तक दी है। स्वतंत्रता सेनानियों की याद में शहर में कोई न कोई स्मारक बनाया जाना चाहिए।