गवाही के लिए एडीजीसी की जिम्मेदारी तय

मैनपुरी। पुराने लंबित आपराधिक मुकदमों में तय तारीख पर समय से गवाही कराना अब सहायक शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी) की जिम्मेदारी होगी। लापरवाही साबित होने ऊपर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। शासन ने 20 साल पुराने लंबित मुकदमों की सूची मांगी है।

आपराधिक मुकदमों में समय से गवाही नहीं हो पाने के कारण अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ रही है। इस पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने पुराने लंबित मुकदमों को शीघ्र निस्तारित करने केे निर्देश दिए हैं। इसके बाद अदालतों से पुराने मुकदमों में गवाही कराने के लिए सरकारी गवाहों पर कार्रवाई शुरू की गई है। अब शासन ने आपराधिक मुकदमों में तय तारीख पर समय से गवाही कराने के लिए एडीजीसी की जिम्मेदारी तय की है। गवाही के लिए अदालत में आने वाले हर गवाह की समय से गवाही कराना एडीजीसी की जिम्मेदारी होगी। गवाही कराने में लापरवाही बरतने वाले एडीजीसी के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई भी होगी।

शासन ने मांगी सूची

शासन ने 20 साल पुराने गंभीर अपराध वाले लंबित मामलों की सूची मांगी है। सूची के साथ ही मुकदमों में समय से गवाही नहीं हो पाने के संबंध में स्पष्ट और बिंदुवार ब्यौरा भी मांगा गया है। न्यायालयों में ऐसे मामलों को एक्शन प्लान में शामिल करके उनको निस्तारित कराने के लिए संबंधित एडीजीसी ने न्यायालयों में पैरवी शुरू कर दी है।

यह मामले किए गए शामिल

गंभीर अपराध के मामलों की श्रेणी तय की गई है। जिन मामलों की सूची मांगी गई है उनमें हत्या, डकैती, बलात्कार, महिला संबंधी अपराध, बाल अपराध सामाजिक अपराधों को शामिल किया गया है।

प्रभावी पैरवी कर दिलाएं सजा

एडीजीसी से कहा गया है आपराधिक मुकदमों में प्रभावी तरीके से पैरवी करें। तय तारीख पर गवाहों की अदालत में गवाही कराएं। गंभीर अपराध के मुकदमों में अदालत के सामने प्रभावी तरीके से अभियोजन का पक्ष रखकर आरोपियों को सजा दिलाएं।

आपराधिक मामलोंं में अभियोजन का पक्ष अदालत के सामने प्रभावी तरीके से रखने के लिए एडीजीसी को पहले ही निर्देश दिए गए हैं। उनके काम की डीएम द्वारा मासिक समीक्षा भी की जाती है। शासन के आदेश का कड़ाई से पालन कराया जाएगा।

वीरेंद्र कुमार मिश्रा, डीजीसी फौजदारी



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