कासगंज। जिले में डेंगू का खतरा लगातार बढ़ रहा। प्रतिदिन नए मरीज सामने आ रहे हैं। मरीजों की जान भी जा रही है, लेकिन मरीजों को इलाज के नाम पर मात्र खानापूर्ति ही हो रही है। डेंगू का डेन -2 स्ट्रेन सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है। इस स्ट्रेन से पीड़ित होने पर मरीज में रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन जांच के इंतजाम न होने से स्ट्रेन का पता नहीं चल पा रहा। रक्तस्राव होने या फिर प्लेटलेट्स अधिक कम होने पर मरीज को बाहर ही रेफर करना पड़ता है।

जिले में डेंगू का इस समय काफी प्रकोप है। इस समय 119 मरीज डेंगू से संक्रमित निकल चुके हैं। जबकि 28 लोगों की जान जा चुकी है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में हाहाकार मचा हुआ है। प्रतिदिन ही लोग डेंगू की चपेट में आ रहे हैं। सरकारी अस्पताल पर पहुंचने वाले मरीजोंं की डेंगू की जांच के बाद मरीज को भर्ती तो कर लिया जाता है, लेकिन मरीज की प्लेटलेट्स गिरने लगें तो फिर उसे चढ़ाने के इंतजाम नहीं है। जब प्लेटलेट्स अधिक गिर जाती हैं तो चिकित्सक हाथ खड़े कर लेते हैं। जिलेे में डेंगू के सामान्य लक्षण तक तो मरीज को इलाज मिल जाता है, लेकिन जैसे ही स्थिति गंभीर होती है तो चाहे सरकारी अस्पताल हो या फिर निजी चिकित्सक उसको बाहर रेफर कर देते हैं, स्थिति गंभीर हो जाने और समय से इलाज न मिल पाने पर मरीज की जान चली जाती है।

डेंगू के स्ट्रेन 2 के ये हैं लक्षण

डेंगू के स्ट्रेन की बात की जाए तो अभी तक चार स्ट्रेन का ही पता लग सका है डेंगू के डेन-1 और डेन-3 स्ट्रेन वाले मरीजों में हल्के लक्षण होते हैं। ऐसे मरीज जल्द ही ठीक हो जाते हैं। वहीं डेन-2 गंभीर होता है। डेंगू के अन्य लक्षणों के अलावा इसमें प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है। मरीज के शरीर के अंदर और बाहर ब्लीडिंग होने का खतरा बढ़ जाता है। पेट दर्द के साथ ही नाक, मसूड़े से खून आने लगता है। साथ ही स्किन पर चकत्ते भी बन जाते हैं। मरीज शॉक सिंड्रोम की स्थिति में चला जाता है और ब्लड प्रेशर कम होने लगता है। जिससे किडनी, लिवर, हार्ट आदि के फेल होने की आशंका बढ़ जाती है। डेंगू के दरें स्ट्रेन 4 में मरीज को बुखार व दर्द रहता था, लेकिन इसके साथ-साथ मरीज को खांसी, डायरिया व टाइफाइड की संभावना रहती है।

2021 में डेंगू ने मचाई थी तबाही

जिले में डेंगू तो वैसे हर साल ही फैलता है, लेकिन 2021 में डेंगू ने जिले में काफी तबाई मचाई। 115 मरीजों की जान जिले के निजी चिकित्सकों या फिर बाहरी जनपदों में हो गई। 2022 में डेंगू का प्रकोप कुछ कम रहा, लेकिन 2023 में फिर से डेंगू हाहाकार मचा रहा है।

जिले में डेंगू की स्ट्रेन की जांच के लिए इंतजाम नहीं है। मरीजों की एलाइजा जांच के बाद डेंगू का पता लगता है। गंभीर मरीज को अस्पताल में भर्ती करके इलाज दिया जाता है। – डाॅ. संजीव सक्सेना, सीएमएस



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