संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा
Updated Sun, 20 Aug 2023 11:43 PM IST
पटियाली। कस्बे का मेहंदी वाला महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि इस मंदिर पर स्वयंवर से पहले स्वयं द्रोपदी ने भगवान शिव की आराधना कर उनको प्रसन्न किया था। वैसे तो पूरे वर्ष ही यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन माह में इस मंदिर पर दूर-दराज से भी भक्त आते हैं। बताया जाता है कि द्वापर युग में गुरु द्रोणाचार्य के निर्देश पर कौरव-पांडवों ने मेंहदी वाले महादेव मंदिर की स्थापना कराई थी।
शास्त्रों के अनुसार राजा द्रुपद एवं गुरु द्रोणाचार्य बचपन के मित्र थे। एक बार द्रोणाचार्य की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। उनके घर में खाने के लाले पड़ने लगे। वे अपनी पत्नी और बच्चों का भरण पोषण नहीं कर पा रहे थे। वे बहुत स्वाभिमानी थे, लेकिन पत्नी एवं बच्चों की भूख उनसे सहन नहीं हो पा रही थी। वे राज द्रुपद से मांगने के लिए गए, लेकिन राजा द्रुपद ने अपमान कर दिया। उस अपमान के बाद गुरु द्रोण ने इसी स्थान पर महादेव की आराधना की थी। मंदिर के चारों तरफ मेहंदी के कई बाग हाेने के कारण इसका नाम मेहंदी वाले महादेव पड़ा। द्वापर कालीन इतिहास के अनुसार इसी मंदिर के एक तरफ गौरी माता का भी मंदिर है।
द्रोपदी ने स्वयंवर से पहले इसी मंदिर पर गौरी माता की स्तुति की थी। इस ऐतिहासिक मंदिर के दर्शन के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालुओं का जमावड़ा मंदिर में लगा रहता है। मेंहदी वाला महादेव मंदिर राजघाट रोड पर स्थित है। मंदिर जाने के लिए बाइपास हनुमान गढ़ी से होकर रास्ता जाता है। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग ढाई किलोमीटर है। मैन बाजार बस स्टैंड से मंंदिर की दूरी लगभग एक किमी है।