कासगंज। जिले में एक बार फिर बाढ़ के हालात बन गए हैं। नरौरा से पिछले तीन दिनों से लगातार दो लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह चल रहा है। जिसका असर गंगा के तटीय इलाकों में पहुंच गया है। उफनती गंगा का पानी खेतों के बाद अब आबादी में घुसने लगा है। इससे क्षेत्र के करीब 30 गांव की आबादी प्रभावित है। खादर की सड़कों के किनारे पानी काफी बढ़ गया है। इससे ग्रामीणों की दुश्वारियां बढ़ने लगी हैं। उफनती गंगा की धारा को देख कर ग्रामीण बेचैन हैं। अभी और पानी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। शुक्रवार को नरौरा बैराज से गंगा में 2 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। शनिवार के साथ रविवार को भी पानी छोड़े जाने का क्रम जारी रहा, रविवार को भी सुबह के समय नरौरा में 4 हजार क्यूसेक की वृद्धि हो गई, इसके चलते 2.04 लाख क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया। यह क्रम रविवार की शाम 4 बजे तक लगातार जारी था। इसका परिणाम रहा कि गंगा के बढ़ते जलस्तर का असर तटवर्ती इलाकों तक है।

बढ़ते जलस्तर को लेकर ग्रामीण बेहद परेशान हैं। खेतों में पहले से ही बाढ़ का पानी जमा है, जलस्तर में वृद्धि होने पर फिर से फसलों में पानी भर गया। ग्रामीणों का मानना है कि अब फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगी। गंगा के कच्चे बांधों पर भी पानी का दबाव बढ़ गया है। दतलाना, उढ़ेर और नगरिया फार्म के बांध पर गंगा के पानी का दबाव बढ़ता जा रहा है।

नगरिया फार्म इलाके के बांध पर तो ग्रामीण कच्चे बांध को बचाने के लिए बांध को पॉलिथीन से कवर करते नजर आए। ग्रामीणों में बाढ़ खौफ है। अभयपुरा, रामपुर, ढेलासराय, लहरा, पाठकपुर, दतलाना व इन गांव के आस पास के इलाके में बाढ़ का पानी काफी बढ़ गया है। वहीं नगला उलाई, अजीतनगर, बमनपुरा, सिकंदरपुर ढाव, सुन्नगढ़ी, चकरा, नागर, सहवाजपुर खिदरपुर, उलाईखेड़ा, नगला हंशी, नगला जाटवान, पनसोती, म्यूनी, मेहोल, हिम्मतनगर बझेरा, गठौरा, जिझौल, नगला खुर्द, नगला खिमाई, नगला मनी तक गंगा के पानी की दस्तक पहुंच गई है। कई ग्रामीण इलाकों की आबादी में पानी भर गया है।

वहीं कई इलाके बाढ़ के पानी से घिरे हैं। यदि लगातार दो लाख क्यूसेक से अधिक पानी का प्रवाह बना रहा तो यह बाढ़ प्रभावित इलाकों में मुसीबतें और बढ़ जाएंगी। जुलाई माह में आई बाढ़ की तरह सड़कों पर फिर से पानी बहने लगेगा। पटियाली इलाके के मेहोल, सहवाजपुर, नरदौली, बरीबगवास के बांधों को फिर से खतरा होने लगा है।

ग्रामीण बढ़ते जलस्तर को लेकर फिर से चिंतित हो रहे हैं। क्योंकि जनजीवन पर प्रभाव पड़ रहा है। पशुओं के चारे को लेकर समस्या होने लगी है। पानी बढ़ने के कारण खेतों से चारे की कटाई नहीं हो पा रही। ग्रामीण इलाके की आबादी में पानी बढ़ने से पशुओं को बांधने का संकट उत्पन्न होने लगा है। ग्रामीण सुरक्षित व ऊंचाई वाले स्थानों पर पशुओं को बांधने को विवश हैं। सड़कों के किनारे पशु बांधे जा रहे हैं।

नरौरा से लगातार बढ़ा हुआ प्रवाह चल रहा है। सिंचाई विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। लगातार निगरानी की जा रही है।- अरुण कुमार, अधिशासी अभियंता, सिंचाई।



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