भजन चित्त की वृत्ति को बनाता है पवित्र
श्री भीमसेन महाराज मंदिर में रामकथा सुनने के लिए पहुंच रहे भक्त
संवाद न्यूज एजेंसी
मैनपुरी। पवित्र श्रावण मास में नगर स्थित मंदिर श्री भीमसेनजी महाराज में राम कथा का आयोजन हो रहा है। कथा के तृतीय दिवस आचार्य शशिकांत रामायणी ने रामकथा के सिद्धांतों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि जीवन में तन को स्वस्थ रखने के लिए भोजन की आवश्यकता है उतनी ही मन को स्वस्थ रखने के लिए भजन की आवश्यकता है। भजन चित्त की वृत्ति को पवित्र बनाता है।
आचार्य ने कहा कि तन की अस्वस्थता उतनी घातक नहीं जितनी कि मन की अस्वस्थता है। तन से अस्वस्थ होने पर व्यक्ति केवल अपने को व ज्यादा से ज्यादा अपनों को ही दुखी करता है। पर मन से अस्वस्थ व्यक्ति स्वयं को, परिवार को, समाज को और अपने संपर्क में आने वाले सभी को कष्ट देता है। उन्हाेंने कहा कि तन का रोग मिटाना कदाचित संभव भी है पर मन का रोग मिटाना असंभव तो नहीं कठिन जरूर है। तन का रोगी रोग को स्वीकार कर लेता है लेकिन मन का रोगी कभी भी रोग को स्वीकार नहीं कर पाता। आचार्य ने कहा कि दूसरों की उन्नति से जलन, दूसरों की खुशियों से कष्ट, दूसरों के प्रयासों से चिंता एवं अपनी उपलब्धियों का अहंकार यह सब मानसिक अस्वस्थता के लक्षण ही तो हैं। शुक्रवार को आरती में कमेटी के अध्यक्ष महेश चंद्र अग्निहोत्री, वीर सिंह भदौरिया, राम कुमार मिश्रा, सुरेश चंद्र राठौर, नरेंद्र सिंह राठौर मौजूद रहे।
