संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा

Updated Sun, 01 Oct 2023 12:26 AM IST

कासगंज। मोटे अनाज के हब के रूप में कासगंज देशभर में ख्याति हासिल रहा है। अन्य राज्यों के जो लोग जिले को नहीं जानते थे अब वे इस मोटे अनाज की बड़ी मात्रा में पैदावार करने वाले जनपद के रूप में जानने लगे हैं। केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 को मिलेट्स वर्ष के रूप में घोषित किया है। जिले ने इसे सार्थक कर दिखाया। यह पहली बार है कि जब देश के कई राज्यों में कासगंज से बड़ी मात्रा में मक्का का निर्यात किया गया है। अनुमान के मुताबिक लगभग 10 से 12 लाख क्विंटल मक्का देश के दूसरे राज्यों को भेजा गया। यह निर्यात मक्का से एथोनॉल बनाने वाली फैक्ट्रियों और शराब बनाने वाली फैक्ट्रियों के लिए किया गया है। खास बात है कि जिले में मक्का की जितनी पैदावार हुई उससे अधिक मात्रा में यहां से निर्यात किया गया। पड़ोसी जनपदों के किसान जो मक्का यहां बिक्री के लिए लाए वह भी इसमें शामिल है। इसकी एक वजह रही निर्यात की मांग निकलने के कारण अन्य मंडियों की अपेक्षा यहां भाव बेहतर मिला।जिले में 41 हजार हेक्टेयर में बाजरा की पैदावार होती है। वहीं, करीब 35 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का की खेती होती है। जिले में दो बार तमाम किसान मक्का की फसल करते हैं। इससे वर्ष में मक्का की दो फसलें होती हैं और अधिक उत्पादन होता है। गेहूं की फसल के बाद मक्का की बुवाई की जाती है। इसके बाद पुन: किसान खरीफ के फसल चक्र में मक्का की खेती करते हैं जो अगस्त माह में तैयार हो जाती है। दो बार फसल होने के कारण मक्का की यहां की गल्ला मंडी में आवक अधिक रहती है। बाहरी राज्यों के व्यापारियों को उनकी मांग के अनुरूप भरपूर मक्का मिल जाती है। तमिलनाडु, उत्तराखंड, हरियाण, महाराष्ट्र राज्यों के लिए सीधे रेलवे की रैक रवाना की गई। अगस्त माह से यह लदान शुरू हुआ जो अभी तक जारी है। एक रैक में 25 हजार क्विंटल माल जाता है। इसके अलावा मध्यप्रदेश में भी ट्रकों से यहां की मक्का गई। मक्का की रैक का लदान निरंतर होने के कारण एटा, टूंडला, फिरोजाबाद, अलीगढ़, बदायूं जनपद के क्षेत्रों से मक्का बेचने यहां किसान पहुंचे। उन्हें अन्य मंडियों से यहां मक्का का अच्छा भाव मिला। कारोबारियों का मानना है कि करीब 10 से 12 लाख क्विंटल मक्का का निर्यात किया गया जो जनपद के लिए रिकॉर्ड है।



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