कासगंज। जिले में करीब 16000 हेक्टेयर में धान की फसल तैयार होती है। अब धान की फसल तैयार होकर पकने लगी है। धान की फसल के बाद पराली किसानों की सबसे बड़ी समस्या रहती है। लेकिन अब डी कंपोजर से पराली की समस्या का निदान हो जाएगा। जिससे इस्तेमाल से पराली को खाद में बदला जा सकेगा। यह पराली खेतों में काम आएगी। जिले में धान की खेती से लगभग 35 से 40 हजार किसान जुड़े हुए हैं। फसल के बिकने के बाद पराली को जलाने पर प्रदूषण होता है। पराली के जलाने पर रोक लगा दी गई हैं। जिसके बाद किसान पराली को नष्ट करने लिए परेशान रहते थे। डी कंपोजर से इस पराली का समाधान हो जाएगा। डी कंपोजर के इस्तेमाल से पराली को खाद में बदला जा सकेगा। जिसका उपयोग किसान अपने खेतों में कर सकेंगे। इसके लिए कृषि विभाग के द्वारा किसानों को जागरूक किया जा रहा है। इससे किसानों की लागत भी कम होगी।

निशुल्क वितरित होंगे 5000 डी-कंपोजर

कासगंज। पराली को नष्ट कर खाद में बदलने के लिए कृषि विभाग के द्वारा 5000 वेस्ट डी-कंपोजर किसानों को बांटे जाएंगे। यह कंपोजर उन किसानों को दिए जाएंगे, जिन्होंने अधिक क्षेत्रफल में धान की खेती की है और पराली अधिक होने की संभावना है।

ऐसे करते है डी-कंपोजर का प्रयोग

वेस्ट डी-कंपोजर को प्रयोग करने के लिए पहले इसका मिश्रण तैयार किया जाता है। 200 लीटर पानी में दो किलो गुड़ एवं दो किला बेसन डालकर मिला लें। उसमें वेस्ट डी-कंपोजर डाल दें। मिश्रण को 48 घंटे तक छांव में रखें और बीच बीची में चलाते रहें। 40 घंटे बाद इस मिश्रण को पराली या फिर गन्ने की पत्तियों पर डाल दें। एक सप्ताह बाद पराली खाद में बदल जाती है।

जनपद के लिए 5000 वेस्ट डी-कंपोजर यूनिट की खरीद की जा रही है। जिसके लिए टेंडर किया गया है। जिसे किसानों को निशुल्क बांटा जाएगा। पराली से खाद बनाकर खेतों में डालने से लागत भी कम होगी। – महेंद्र सिंह, उप कृषि निदेशक कासगंज।



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