साहब 100 साल से बने तोड़ दिए गए आशियाने, दिला दीजिए राहत

कलेक्ट्रेट पहुंचकर मोहनपुर के ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, डीएम को सौंपा ज्ञापन

संवाद न्यूज एजेंसी

मैनपुरी। तहसील भोगांव क्षेत्र के गांव मोहनपुर के ग्रामीण बुधवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे। कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीण रोते बिलखते भी देखे गए। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देते हुए कहा कि साहब उनके सौ साल से बन मकान तोड़े जा रहे हैं। घर खाली करने का फरमान सुना दिया गया है।

मोहनपुर में रेलवे लाइन के किनारे बने करीब 30 मकानों को रेलवे विभाग ने मंगलवार की शाम ढहा दिया। इससे कई ग्रामीण बेघर हो गए हैं। वहीं रेलवे विभाग ने 20 दिन में सारे मकान तोड़ने का फरमान सुना दिया है। कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीण अधिकारियों से बोले साहब 100 साल से हमारे परिजन यहां मकान बनाकर रहे रहे हैं। राजस्व विभाग में दर्ज जमीन के हिसाब से नियमों का पालन भी कर रहे हैं लेकिन इसके बाद भी उनको बेघर कर दिया गया है। ग्रामीणों ने कार्रवाई से बचने के लिए प्रदर्शन करते हुए ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में कहा गया है कि राजस्व विभाग के नक्शे के अनुसार रेलवे लाइन के एक और 19 मीटर दौर दूसरी और 22 मीटर जगह रेलवे विभाग की दर्ज है। ग्रामीणों ने अपने मकान भी निर्धारित सीमा के बाहर बनाए हैं। ग्रामीणों का कहना था कि पांच सितंबर को रेलवे विभाग की टीम पुलिस के साथ गांव पहुंची और यहां करीब 30 मकान ताेड़ दिए। ग्रामीणों ने बताया कि उन लोगों को चेतावनी दी गई है कि रेलवे लाइन से 29 मीटर दोनों तरफ जगह पूरी तरह से खाली कर दी जाए। 20 दिन बाद फिर से कार्रवाई होगी इस दौरान जो भी हद में आएगा उसके मकान तोड़ दिए जाएंगे। ग्रामीणों का कहना था कि वे और उनके परिजन करीब 100 साल से मकान बनाकर रहे रहे हैं। यदि 29 मीटर दूरी का पालन किया गया तो किसी का मकान नहीं बचेगा। ग्रामीणों ने राजस्व विभाग में दर्ज रिकार्ड के अनुसार जगह सुरक्षित करने की मांग की।

प्रदर्शन करने वालों में अमित कुमार, सुनीता देवी, चांदनी, पूजा, कंठश्री, ऊषा देवी, रेखा देवी, पिंकी, मीरा देवी आदि ग्रामीण शामिल थे।

मेरा मकान 100 साल से भी अधिक समय का बना हुआ था। बिना किसी नोटिस के ही मेरा मकान गिरा दिया गया है। गिराने से पहले चेतावनी तो देनी चाहिए थी।

उदयवीर सिंह

मेरा मकान वर्षों से बना हुआ है पहले कभी रेलवे ने कोई नोटिस आदि नहीं दिया अब अचानक हम लोगों को बेघर किया जा रहा है।

दयाशंकर

ग्रामीणों ने राजस्व विभाग में दर्ज नक्से के अनुसार रेलवे की जगह छोड़कर अपने मकान बनाए थे। आज भी वहीं मकान बने हैं। रेलवे ने अचानक अपनी हद बढ़ा दी है। इससे ग्रामीण बेघर हो रहे हैं।

उमाशंकर

जैसे तैसे एक-एक पैसा एकत्रित कर मकान बनवाया था अब अचानक रेलवे ने मकान गिराने शुरू कर दिए हैं। रेलवे की हद का पत्थर भी लगा है उससे दूरी पर घर बने हैं अब अचानक रेलवे ने अपनी हद बढ़ा दी है।

सुनील कुमार



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