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सांकेतिक तस्वीर – फोटो : Istock
इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस इन मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च एंड प्रैक्टिस फॉर सस्टेनेबल डवलपमेंट एंड इनोवेशन के दूसरे दिन (शनिवार) को शोधार्थियों ने कई शोधपत्र पढ़े। दयालबाग इंस्टीट्यूट की छात्रा ने मिलावटी दूध से याददाश्त कमजोर होने जैसी बीमारी का जिक्र किया।
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वहीं, कानपुर की छात्रा ने बीजों पर अपना शोधपत्र पढ़कर मिट्टी की उत्पादन क्षमता बढ़ाने की बात की। वर्तमान में मोबाइल के प्रयोग की बढ़ती आदत पर विशेषज्ञों ने सावधान किया। रासायनिक खाद, कीटनाशक से मिट्टी की उत्पादन क्षमता कम हो रही है।
इसे बढ़ाने के लिए बीजों पर राइजो बैक्टीरिया की कोडिंग से क्षमता बढ़ सकेगी। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय की छात्रा श्रेया वर्मा ने इस पर शोधपत्र प्रस्तुत किया। बताया कि आगामी 25 वर्षों में मिट्टी की उत्पादकता में हैवी मेटल के कारण 90 फीसदी कमी आने का अनुमान है।
दयालबाग एजुकेशन इंस्टीट्यूट (डीईआई) की डॉ. आंचल ने मिलावटी दूध पर शोध किया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 319 लाख मीट्रिक टन दूध का उत्पादन हो रहा है। जरूरत 426 लाख मीट्रिक टन की है।