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– फोटो : अमर उजाला
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आगरा में शासकीय गोपनीयता अधिनियम और जान से मारने की धमकी देने के मामले में 31 साल में केवल एक गवाह अदालत में हाजिर हुआ। वह भी बयान से मुकर गया। इस पर एसीजेएम-1 पंकज कुमार ने आरोपी पंकज कुमार दीक्षित और आलोक महेंद्रू उर्फ बंटी को साक्ष्य के अभाव में बरी करने का आदेश किया।
मामले के अनुसार थाना हरीपर्वत में मधुकर कपूर ने 7 अक्तूबर 1989 को तहरीर दी थी। बताया कि उनकी प्रिंटिंग प्रेस महिम पत्रक प्राइवेट लिमिटेड, मोहल्ला सोंठ की मंडी में राजकीय अति गोपनीय अभिलेखों की छपाई होती थी। 2 अक्तूबर 1989 को चौकीदार अशोक कुमार से पता चला कि कुछ लोग प्रेस में छपने वाले अभिलेखों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
5 अक्तूबर 1989 को प्रेस में कार्यरत बिजली कर्मचारी राजकुमार ने सहायक मैनेजर को सूचना दी। बताया कि कुछ लोगों ने उसे रुपयों का लालच देकर अभिलेख लेना चाहा। मगर, उसने मना कर दिया। जान से मारने की धमकी देकर चले गए। 7 अक्तूबर 1989 को दो लोगों ने प्रेस के सामने स्थित चाय की दुकान पर बिजली मिस्त्री और चौकीदार को भी लालच दिया।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर छत्ता के टीले वाली गली निवासी पंकज कुमार को पकड़ लिया। उसका साथी बल्केश्वर निवासी आलोक महेंद्रू उर्फ बंटी भाग गया। 1993 में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हुए। 31 साल में अभियोजन पक्ष चाय की दुकान चलाने वाले इंद्रेश सिंह राठौर को ही गवाही के लिए अदालत में पेश कर सका। वह भी गवाही से मुकर गया। मैनेजर, चौकीदार, बिजली मिस्त्री सहित कोई भी पुलिस कर्मी गवाही देने नहीं आया।
