यमुना डूब क्षेत्र तय हो चुका है। आगरा की सीमा में करीब 5,134 मीटर लंबाई में 2,567 पिलर लगाए जाएंगे। रामगंगा कमांड ने टेंडर जारी किया है। लोअर खंड सिंचाई अभियंताओं की देखरेख में काम होगा। 31 मार्च 2026 तक पिलर लगाने के बाद सिंचाई विभाग को एनजीटी में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करनी है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय जल आयोग को असगरपुर से प्रयागराज तक डूब क्षेत्र निर्धारण के आदेश दिए थे। हैदराबाद स्थित रिमोट सेंसिंग के विशेषज्ञ डॉ. एवी सुरेश ने पांच सदस्यीय दल के साथ सेटेलाइट से 100 साल की बाढ़ के आधार पर डूब क्षेत्र चिह्नांकन किया है।
अक्षांश व देशांतर तय हो चुके हैं। अक्षांश व देशांतर के आधार पर प्रत्येक 200 मीटर की दूरी पर एक पिलर लगेगा। याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता के अनुसार सिंचाई विभाग ने एनजीटी में 29 जुलाई को शपथपत्र दाखिल किया था। रामगंगा कमांड के मुख्य अभियंता राजेंद्र कुमार जैन के शपथपत्र के अनुसार 21 सितंबर से 5 अक्तूबर के बीच पिलर लगाने के लिए एग्रीमेंट तैयार हो जाएगा। पिलर लगाने का काम 5 अक्तूबर से शुरू होगा। पांच महीने में यानी 31 मार्च तक सभी 2567 पिलर आगरा सीमा में यमुना डूब क्षेत्र में लगाए जाएंगे।