
मेयर हेमलता दिवाकर
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जरा सी बारिश में भारी जलभराव और कचरे की दुर्गंध झेलने वाले शहर के लोगों की जेब पर नगर निगम टैक्स और फीस का भारी-भरकम बोझ डाल रहा है। नई मेयर हेमलता दिवाकर ने नगर निगम कार्यकारिणी की दूसरी ही बैठक में जनता पर टैक्स थोपने के प्रस्तावों को मंजूर कर लिया है। नामांकन शुल्क में 25 गुना की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है, वहीं बैनामों पर सर्किल रेट के मुताबिक एक फीसदी शुल्क तय किया है। मलबा शुल्क और भवन निर्माण शुल्क भी 50 रुपये प्रति वर्ग मीटर से बढ़ाकर 232 रुपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया गया है। इसके अलावा लोगों को निरीक्षण शुल्क भी 20 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से देना पड़ेगा।
शहर की सफाई और इन्फ्रास्ट्रक्चर का हाल दो दिनों की बारिश में पूरे शहर ने देख लिया। कोई ऐसी सड़क नहीं बची, जो बारिश में जलभराव के कारण नहर जैसी न दिख रही हो। इन समस्याओं के निदान की जगह नगर निगम कार्यकारिणी के सदस्यों और शहर की मेयर ने लोगों की जेब पर ही बोझ डालने वाले प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। वसीयत, उत्तराधिकार आधारित भवनों पर नामांतरण शुल्क में भारी भरकम 25 गुना की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई। अभी तक 200 रुपये का शुल्क नामांतरण के लिए लगता है, पर 5000 रुपये नामांतरण शुल्क प्रस्तावित किया गया है। निगम की आय बढ़ाने के नाम पर लोगों की जेब काटने के छह प्रस्तावों को कार्यकारिणी ने मंजूर किया है।
नामांतरण शुल्क अभी की दर प्रस्तावित दर
5 लाख तक के बैनामों पर नामांतरण शुल्क 1000 सर्किल रेट का एक फीसदी
10 लाख रुपये तक के बैनामों पर शुल्क 2000 सर्किल रेट का एक फीसदी
20 लाख रुपये तक के बैनामों पर शुल्क 5000 सर्किल रेट का एक फीसदी
एनओसी के लिए 5 गुना देना होगा शुल्क
प्राधिकरण से नक्शा पास करने के लिए नगर निगम से एनओसी पर मलबा शुल्क के रूप में 50 रुपये प्रति वर्ग मीटर का शुल्क लगता था, पर कार्यकारिणी ने प्रस्ताव संख्या 3 में सुदृढीकरण शुल्क के रूप में 192 रुपये और अंबार शुल्क के रूप में 40 रुपये प्रति वर्ग मीटर का शुल्क लगाया है। निरीक्षण के लिए 20 रुपये प्रति वर्ग मीटर शुल्क होगा। इस तरह 50 की जगह अब 252 रुपये प्रति वर्ग मीटर का शुल्क नगर निगम में एनओसी के लिए चुकाना होगा।
लेआउट प्लान के लिए भी लगाया शुल्क
कार्यकारिणी ने लेआउट मानचित्र स्वीकृत करने के लिए विकास अनुज्ञा शुल्क लगाने को मंजूरी दी है, जिसमें एक हेक्टेयर तक की जमीन पर 10 हजार रुपये, एक से ढाई हेक्टेयर तक 20 हजार और 5 हेक्टेयर तक 30 हजार रुपये का शुल्क प्रस्तावित है। यहां भी निरीक्षण शुल्क के रूप में 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर का शुल्क लगाया गया है। लखनऊ नगर निगम की तर्ज पर यह दरें लागू करने का प्रस्ताव रखा गया, जिसे मंजूरी दे दी गई।
सर्किल रेट के मुताबिक देना होगा दुकानों का किराया
नगर निगम कार्यकारिणी ने प्रस्ताव संख्या 6 में दुकानों का किराया बढ़ाने को भी मंजूरी दे दी है। निगम की संपत्तियों का किराया बेहद कम है। अब सर्वे कराकर पहले दुकानों की मिल्कियत जांची जाएगी और अगर दूसरे को दुकान बेची गई है तो नए सर्किल रेट से शुल्क वसूला जाएगा और नए रेट से ही किराया बढ़ाया जाएगा। इससे लोगों पर 10 गुना तक शुल्क बढ़ जाएगा, वहीं आगरा विकास प्राधिकरण की तर्ज पर नगर निगम ने भी ले आउट प्लान स्वीकृत करने के लिए शुल्क प्रस्तावित किया है।