झांसी। रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने चने की नई किस्म आरएलबीजी एमएच-4 तैयार की है जिससे खेती आसान और किसानों का मुनाफा ज्यादा हो सकेगा। यह किस्म 100 से 110 दिन में तैयार हो जाएगी। इस नई प्रजाति की खासियत यह है कि इसके पौधे की ऊंचाई और शाखाओं की बनावट यांत्रिक कटाई के अनुकूल है। इससे किसानों को मजदूरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। खेती की लागत और समय दोनों की बचत होगी। उत्तर प्रदेश राज्य फसल विमोचन समिति ने प्रदेश में खेती के लिए इस किस्म की अनुशंसा की है।

उन्होंने बताया कि फरवरी के अंत से लेकर मार्च के पहले पखवाड़े में तापमान बढ़ने पर भी इस किस्म की उपज पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।

निदेशक शोध डॉ. एसके चतुर्वेदी ने बताया कि ये किस्म जेनेसिस 836 और जाकी 9218 के संकरण से विकसित की गई है। इसे वंशावली चयन विधि के जरिये कई वर्षों के फसल परीक्षणों के बाद चयनित किया गया है। निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. सुशील कुमार सिंह ने बताया कि नई किस्म मशीन से कटाई के लिए उपयुक्त है। इस प्रजाति की शाखाएं सीधी बढ़ती हैं। पौधे लगभग 60 सेंटीमीटर ऊंचे होते हैं। पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं और फलियां सभी शाखाओं पर समान रूप से लगती हैं। बीज गहरे भूरे रंग और चिकनी सतह के होते हैं। यह किस्म 25 अक्तूबर से 10 नवंबर के बीच आसानी से बोई जा सकती है। विश्वविद्यालय की ओर से जल्द ही इसका प्रदर्शन और बीज उत्पादन शुरू किए जाएंगे।

किस्म की ये है खासियत

पौधा सीधा होता है और जमीन की ओर नहीं झुकता।

जमीन से 20 सेंटीमीटर ऊपर ही फलियां लगती हैं।

उचित प्रबंधन पर 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेअर तक उपज मिलती है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *