गोभी की फसल में ब्राउन रॉट (भूरा सड़न) रोग लगने से बचाव किसानों के लिए गंभीर चुनौती होता है। इसका दिसंबर से फरवरी के बीच अधिक प्रकोप होता है। यह समस्या देरी से बोआई या तैयार होने वाली फूलगोभी की फसल में अधिक होती है।
तेजी से फैलता है ब्राउन रॉट का प्रकोप
रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विवि के वैज्ञानिक (सब्जी विज्ञान विभाग) डॉ. बृज बिहारी शर्मा ने बताया कि लगातार सिंचाई, खेत में जलभराव, भारी मिट्टी तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों विशेषकर बोरॉन की कमी से ब्राउन रॉट का प्रकोप तेजी से फैलता है। तापमान में उतार-चढ़ाव और पौधों के बीच हवा का समुचित संचार न होना रोग की गंभीरता को बढ़ाता है। किसानों को नवंबर से ही सतर्क हो जाना चाहिए। सर्दी के दौरान जल प्रबंधन एवं पोषण संतुलन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
जल निकास व्यवस्था जरूरी
ब्राउन रॉट से बचाव के लिए खेत में जल निकास व्यवस्था व जरूरत से अधिक सिंचाई से बचाव व संतुलित उर्वरकों का प्रयोग जरूरी है। 0.25 प्रतिशत बोरेक्स या 0.1 प्रतिशत बोरिक एसिड का छिड़काव लाभकारी सिद्ध होता है। रोगग्रस्त पौधों और सड़े हुए फूलों को तुरंत खेत से निकालकर नष्ट करना चाहिए। उन्होंने बताया एक ही खेत में बार-बार फूलगोभी की खेती न कर फसल चक्र अपनाने से भी इस रोग के प्रकोप को कम किया जा सकता है। समय पर रोग की पहचान व उचित प्रबंधन से नियंत्रण पाया जा सकता है।
