AKhilesh Yadav says on power cuts BJP is taking revenge from people.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव।
– फोटो : amar ujala

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उत्तर प्रदेश में बिजली के मुद्दे पर सियासत गरम हो गई है। सपा ने बिजली कटौती और दरें बढ़ाकर मतदाताओं से हार का बदला लेने तो कांग्रेस ने सरकार पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया। विभिन्न दलों के नेताओं ने कहा कि ऊर्जा मंत्री 24 घंटे आपूर्ति का झूठा दावा कर रहे हैं। ग्रामीण इलाके ही नहीं शहरी इलाके में भी अंधाधुंध कटौती की जा रही है।

हार का बदला ले रही भाजपा : अखिलेश

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में अपनी हार से बौखलाई भाजपा सरकार प्रदेश के मतदाताओं को हर तरह से परेशान करके बदला लेने पर उतारू है। भीषण गर्मी से तपते माहौल में 24 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा खोखला है। बिजली कटौती से कहीं पानी नहीं मिल रहा है तो कहीं भीषण गर्मी में लोग बिलख रहे हैं। दूसरी तरह बिजली दर बढ़ाने का कोई न कोई रास्ता ढूंढा जा रहा है।

पहले आपूर्ति सुधाएं, फिर दर बढ़ाने की हो बात – राय

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि 24 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा पूरी तरह से झूठा है। ग्रामीण इलाके में मुश्किल से 10 से 12 घंटे बिजली मिल रही है। लोकल फाल्ट से उपभोक्ताओं का कोई लेना देना नहीं है, उसे कितने घंटे बिजली मिल रही है, यह महत्वपूर्ण है। बिजली दर में किसी भी कीमत पर बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए। पूर्वांचल में बिजली कटौती होने की वजह से छोटे-छोटे कारखाने बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं।

बिजली दरें बढ़ाना निंदनीय – हीरालाल

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के राज्य सचिव हीरालाल यादव ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा ग्रामीण विद्युत दरों की वृद्धि के लिए अलग-अलग रास्ता ढूंढा जाना निंदनीय है। निदेशक मंडल की ओर से पारित किए गए प्रस्ताव से तमाम उपभोक्ताओं को करीब दो से ढाई रुपये महंगे दर पर भुगतान करना होगा। इसलिए ऐसे प्रस्ताव को खारिज किया जाए।

कल दाखिल होगी अवमानना याचिका

ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति के नाम पर ग्रामीण फीडर को शहरी घोषित करने और शहरी बिलिंग के आदेश के विरोध में उपभोक्ता परिषद की ओर से मंगलवार को नियामक आयोग में अवमानना याचिका दाखिल की जाएगी। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जनवरी-फरवरी में निदेशक मंडल ने फीडर बदलने का फैसला लिया था, लेकिन आदेश अब जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा ग्रामीण घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं व किसानों की बिजली दर सस्ती करने के लिए करीब 14000 करोड़ की सब्सिडी देती है ताकि शहरी फीडर की अपेक्षा ग्रामीण ग्रामीण फीडर की दर सस्ती रहे। यदि काॅरपोरेशन ग्रामीण फीडर को शहरी में बदलता है तो फिर सब्सिडी व्यवस्था का उल्लंघन है।



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