
बच्चे की हत्या
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अरनिया थाना क्षेत्र के गांव जहानपुर से चार दिन पूर्व 15 लाख रुपये की फिरौती के लिए अगवा किये गये आठ वर्षीय बच्चे की हत्या अगवा करने के कुछ घंटे बाद ही कर दी गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। हालांकि शव गला हुआ होने के कारण हत्या का कारण साफ नहीं हुआ। मगर अंदेशा गला घोंटकर हत्या का है, क्योंकि गर्दन में जूते का फीता फंसा मिला है। वहीं पुलिस को हत्यारोपी की बाइक भी अलीगढ के सारसौल से बरामद हुई थी। यह भी जानकारी मिली है कि आरोपी वर्ष 2016 में भी एक मासूम का इसी तरह अगवा कर हत्या कर चुका है।
पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ कि उसका अपहरण करने के कुछ घंटे बाद ही हत्या कर दी गई। पुलिस की वीडियोग्राफी के बीच उसका पोस्टमार्टम कराया। पोस्टमार्टम में अंदेशा जताया गया कि उसको गला दबाकर मारा गया है। शव चार दिन पुराना होना पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया है। ऐसे में माना जा रहा है कि हत्या अपहरण वाले दिन ही कर दी गई है। हत्याकांड के खुलासे के बाद अलीगढ़ पुलिस भी हरकत में आई। हालांकि 18 जून को जब बुलंदशहर पुलिस ने अलीगढ पुलिस से संपर्क किया तो स्थानीय पुलिस की एक टीम उसी दिन से साथ लगी थी।
सूत्रों की मानें तो अरनिया थाने की पुलिस को हत्यारोपी की बाइक अलीगढ के थाना सारसौल से कुछ दिन पहले ही बरामद हो चुकी थी। उस समय भी अलीगढ पुलिस का वारदात की जानकारी नहीं दी गई थी। 15 जून को अपहरण हुआ। अलीगढ़ पुलिस को 18 जून को बताकर मदद मांगी गई। बुलंदशहर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए यह भी माना जा रहा है कि अगर समय रहते दोनों जिलों की पुलिस का तालमेल बैठ जाता तो शायद वारदात पहले ही खुल जाती।
यह भी हो सकता था कि मासूम की जिंदगी तक बच जाती। मासूम की हत्या में बुलंदशहर पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवालियां निशान लगाये जा रहे है। पुलिस ने थाना अरनिया में अपहरण का मुकदमा 15 जून को दर्ज किया। लेकिन अलीगढ पुलिस से संपर्क 18 जून के बाद किया गया। उसी दिन आरोपी की बाइक सारसौल पर लावारिस अवस्था में मिली। अगर अलीगढ पुलिस के सूत्रों की मानें तो बुलंदशहर पुलिस समय रहते अलीगढ़ पुलिस से संपर्क कर लेती ता शायद मासूम की जान बच सकती थी। इधर, आरोपी पर जवां में भी इसी तरह अपहरण के बाद हत्या का आरोप लगा था।