अलीगढ़ में देहली गेट थाना क्षेत्र के अशरफपुर जलाल में 15 दिसंबर को लोहे की परात में जलाए गए अलाव की चिंगारी से चारपाई में लगी आग से एक छह माह के बच्चे की जलकर मौत हो गई थी। चारपाई पर बगल में लेटीं दो बहनें, पांच साल की तन्नू और तीन वर्ष की मन्नू झुलस गईं थी। मन्नू को गंभीर हालत में दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। सात दिन बाद मन्नू जिंदगी और मौत की जंग हार गई, उसने 21 दिसंबर की रात अंतिम सांस ली। जिससे परिवार में मातम छा गई।

अशरफपुर जलाल निवासी प्रताप मजदूरी करने रोज की तरह सुबह काम पर गया था। घर पर उसकी पत्नी और तीन बच्चे थे। 15 दिसंबर को ठंड ज्यादा थी लिहाजा प्रताप की पत्नी आरती ने लोहे की परात में कुछ लकड़ियां जला लीं। अपने तीनों बच्चों को लेकर पास में ही बैठ गई। शाम को करीब पांच बजे आरती ने तीनों बच्चों को एक चारपाई पर लिटा दिया और ऊपर से लिहाफ ओढ़ा दिया। बाद में लोहे की परात में जलीं लकड़ियां जब कोयला बन गईं तो परात को उस चारपाई के नीचे रख दिया जिस पर बच्चे लेटे हुए थे। 

आरती घर के बाहर परिवार की महिलाओं के साथ बैठ गई। इसी दौरान अचानक कमरे में आग लग गई। छह माह का देवांश तो चारपाई जलने से लोहे की परात में गिर गया था। तीनों मासूमों को बाहर निकाला और जेएन मेडिकल कालेज लेकर पहुंचे। जहां छह माह के देवांश को मृत घोषित कर दिया था। तीन साल की मन्नू की गंभीर हालत को देखते हुए दिल्ली एग्स में भर्ती कराया गया। पांच साल की तन्नू को प्रारंभिक उपचार के बाद घर भेज दिया था।  इलाज के दौरान 21 दिसंबर को मन्नू की मौत हो गई है।

मन्नू के मौत की सूचना घर पर मिलते ही परिवार में मातम छा गया। परिजन 22 दिसंबर की दोपहर मन्नू के शव को लेकर घर पहुंचे। बच्ची के शव से लिपटकर माता-पिता और परिजन रोते-बिलखते रहे। पार्षद विनीत यादव ने बताया कि बालिका का पोस्टमार्टम करने के लिए परिजनों से बातचीत की जा रही है। जिससे परिवार को कुछ सरकारी आर्थिक मदद मिल सके।



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