अलीगढ़ जिले के एक निजी अस्पताल में आपरेशन के दौरान विंडो पीरियड का ब्लड चढ़ाए जाने से महिला एचआईवी पाजीटिव हो गई है। यही नहीं ब्लड देने वाला व्यक्ति भी संक्रमित आ गया है। मामले की शिकायत पर एडी हेल्थ ने जांच कर रिपोर्ट सौंप दी है। एडी हेल्थ ने बताया कि विंडो पीरियड में ब्लड की जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं होती है। इस अवस्था में संक्रमण माह भर से लेकर साल भर के बीच शरीर में फैल सकता है।
आईजीआरएस पोर्टल पर आई शिकायत के अनुसार एक महिला अपने मायके आई थी। रसोली के आपरेशन के लिए महिला को जेल रोड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आपरेशन के दौरान महिला को ब्लड की आवश्यकता पड़ी। महिला का जीजा मलखान सिंह जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से एक यूनिट खून लेने पहुंचा। डिमांड लेटर में बी पॉजिटिव ग्रुप का खून मांगा गया था। ब्लड बैंक कर्मियों ने रैपिड जांच कर डोनर का ब्लड निकाला।
अमूमन ब्लड डोनर को रेफ्रिजरेटर में रखा हुआ उसी ग्रुप का खून दिया जाता है। मगर कर्मी ने ग्रुप मैच होने पर उसी का खून निकालकर दे दिया। ब्लड बैंक ने प्रक्रिया पूरी कराई थी। ऑपरेशन के दौरान महिला को वहीं खून चढ़ाया गया। करीब एक महीने बाद महिला एचआईवी पाजीटिव आ गई। इसके बाद महिला के पति ने उसके जीजा की भी जांच कराई तो उसकी भी रिपोर्ट एचआईवी पॉजिटिव मिली। महिला के पति ने इस प्रकरण को गंभीर बताते हुए आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। इस मामले में सीएमओ ने भी एक जांच टीम गठित कर दी है।
एचआईवी को लेकर शिकायत आई थी। ब्लड बैंक और निजी अस्पताल में पहुंच कर जांच की गई। जिसमें सामने आया कि व्यक्ति एचआईवी विडो पीरियड में था। इस कारण जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई थी।-डॉ. मोहन झा, एडी हेल्थ
