
पहली करवा चौथ पर चांद का पूजन करते पति- पत्नी
– फोटो : स्वयं
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अखंड सौभाग्य का प्रतीक एवं सुहागिनों का प्रमुख त्योहार करवा चौथ पूरे धार्मिक उल्लास एवं पारंपरिक तरीके से मनाया गया। सुहागिनों ने पति की दीर्घायु एवं अविवाहित कन्याओं ने अच्छे वर की कामना को लेकर करवा चौथ का व्रत रखा। व्रत को लेकर महिलाओं एवं युवतियों में भारी उत्साह देखने को मिला । दिनभर महिलाएं निर्जला व्रत रहीं। शाम को करवाचौथ की कथा सुनी। विधि- विधान से पूजन किया । करवा और देवी के गीत आदि गाए गए। इसके बाद महिलाएं चंद्रमा के दर्शन की तैयारियों में जुट गईं। महिलाओं ने रात में चंद्रमा निकलने पर अर्घ्य देकर अपने व्रत को खोला। इसी के साथ आतिशबाजी से पूरा शहर गूंज उठा ।
व्रती महिलाओं में सुबह से ही व्रत की तैयारियों को लेकर भारी उत्साह देखा गया। दिन में महिलाओं ने निर्जला व्रत का संकल्प लिया । दोपहर बाद से पूजन की तैयारियां शुरू हो गईं। महिलाओं ने सोलह श्रंगार किए फिर माता गौरी की कथा सुनीं और देवी गीत गाए। दिनभर निर्जला व्रत रखने के चलते व्रतियों की निगाहें आसमान की ओर थीं। सभी में बेसब्री थी कि जल्द चंद्रमा निकले और पूजन करें । हालांकि, बादलों ने भी खूब अटखेलियां खेलीं ।
शाम से ही आसमान पर घने काले बादल छाए हुए थे । इसलिए तारे भी बहुत कम नजर आ रहे थे । बस, सभी की बेसब्री से निगाहें थीं कि चंद्रमा के दर्शन हो जाएं । देरशाम तक तो घरों के आंगन और छतों पर व्रती पहुंच चुकी थीं। तमाम जगहों पर आकर्षक रंगोली सजाई गई थी। महिलाओं के हाथों में पूजन की थाली थी । सभी महिलाएं टकटकी लगाकर आसमान की ओर देख रहीं थीं । चंद्रमा ने कुछ देर प्रतिक्षा कराई ।
फिर बादलों के बीच से रात करीब 8:25 बजे चंद्रमा के दर्शन हुए । व्रती महिलाओं के चेहरे पर खुशी देखते ही बन रही थी । सुहागिनों ने चंद्रमा को पति के साथ छलनी से निहारा । आरती की और अर्घ्य दिया । पति के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। पति ने पत्नी को पानी पिलाकर व्रत खुलवाया। दंपतियों ने साथ मिलकर सुख समृद्धि की कामना की और घर के बुजुर्गों से आर्शीवाद लिया ।