
मनोज गौतम
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अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम के रिश्तेदार होर्डिंग ठेकेदार मनोज गौतम व ओजोन सिटी ग्रुप स्वामी प्रवीन मंगला के बीच संपत्ति विवाद में पुलिस जांच तेज हो गई है। कथित फर्जी राजवती नाम की असली महिला सुमित्रा को जेल भेजने के बाद पुलिस ने मुकदमे के अन्य आरोपियों की भूमिका की जांच तेज कर दी है। चूंकि सुमित्रा ने पुलिस को बयान दिया है कि उसने भाई के कहने पर बैनामा किया था। अब शेष दो अन्य आरोपियों में क्रेता मनोज गौतम व गवाह कैलाश बघेल शामिल हैं, जबकि एक गवाह महिला के भाई सुशील राना की मौत हो चुकी है।
बता दें कि फरवरी में दर्ज मुकदमे में महुआ खेड़ा पुलिस ने दादनपुर हाथरस की सुमित्रा देवी नाम की महिला को मंगलवार को जेल भेजा है। सुमित्रा देवी पर आरोप है कि उसने राजवती निवासी महेंद्र नगर बनकर ओजोन सिटी के पास की जमीन का बैनाम मनोज गौतम के नाम किया। उस बैनामे के बदले भूमि की कीमत का भुगतान बैनामे में गवाह सुमित्रा के भाई सुशील राना के खाते में हुआ।
विवाद की शुरुआत से ही इस मामले में ओजोन सिटी के स्वामी यह कहते आ रहे हैं कि बैनामा गलत महिला को सामने लाकर किया गया है। उनके पास सही राजवती निवासी केला नगर के हाथों रजिस्टर्ड इकरारनामा है। इधर, अब बैनामा करने वाली सुमित्रा को पुलिस ने जेल भेज दिया है। वहीं केला नगर की राजवती के बेटे की ओर से कराए गए मुकदमे में बैनामा कराने वाले सांसद के रिश्तेदार मनोज गौतम, मृत गवाह सुशील राना, कैलाश बघेल आरोपी हैं।
पुलिस ने सुमित्रा को जेल भेजने के बाद अब मनोज गौतम व कैलाश बघेल की भूमिका की जांच, उनके खिलाफ साक्ष्य संकलन का काम तेज कर दिया है। पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार की गई महिला सुमित्रा ने बयान दर्ज कराया है कि उसने अपने मृत भाई सुशील राना के कहने पर यह बैनामा किया था। इसके अलावा वह कुछ नहीं जानती। इस मामले में पुलिस अब साक्ष्य संकलन के साथ-साथ आरोपियों की भूमिका आदि पर काम कर रही है। सीओ द्वितीय बस कहते हैं कि आगे की जांच जारी है।